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महानायकों का जीवन चरित्र पढ़ो, तब समझ आएगा आजादी का महत्व

 


शिवपुरी आजादी के महानायकों के जीवन चरित्र पढ़ें, तब युवाओं को आजादी का महत्व समझ आएगा। कैसे हमारे महानायक अंग्रेजों के कोड़े खाते थे लेकिन भारत माता की जय बोलते हुए देश की स्वतंत्रता से पीछे नहीं हटते थे। भगत सिंह, राजगुरु, गांधी जैसी हस्तियां अब चिराग लेकर भी ढूंढने से नहीं मिलेंगी।

यदि इनके बारे में कुछ जानना है तो इतिहास पढ़ाे। मोबाइल और लैपटॉप पर गेम और फालतू चीजें देखने के बजाए महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के इतिहास को खोजो, तब कहीं तुम आजादी की कीमत समझ पाओगे। यह बात जिले के वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 95 वर्षीय प्रेमनारायण नागर ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए कही।

उन्हाेंने चिंता जाहिर कर कहा कि मोबाइल और लैपटॉप के युग में युवाओं पर अब समय ही कहां है कि वे अगस्त क्रांति, चौरी-चौरा आंंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में पढ़ें और जानें। एक वृतांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि एक गांव में जातिगत कुछ झगड़ा हुआ और नवयुवक मारा गया। जब अंग्रेज तहसीलदार गांव में मुआयना करने गए तो हमें साथ ले गए। वहां जाकर देखा तो युवक की लाश बाहर पड़ी थी। खंबे से टिककर एक बेटी गोदी में खेलने वाली दूसरी बेटी को कटोरी से दूध जैसा कुछ पिला रही थी, वह दूध नहीं था। साथ वह वह रो भी रही थी।

जब उससे झोपड़ी के अंदर से अम्मा को बुलाकर लाने को कहा तो बेटी बोली- वह बाहर नहीं आ सकतीं। जब अंग्रेज अधिकारी ने दोबारा कहा तो बेटी ने फिर मना कर दिया। जब नागर जी ने बेटी को पुचकार कर पूछा- बेटी! अम्मा को खबर तो कर, वह बाहर आ जाएगी। इस पर बेटी तेज आवाज में रोती हुुई बोली- अम्मा पर एक ही साड़ी थी, वह उसने उतारकर पिता के शव पर डाल दी। अब वह अंदर बिना कपड़े के बैठी है। बेटी का यह जवाब सुनकर श्री नागर सहित अंग्रेज अधिकारी की आंखों में आंसू आ गए और गांव के चौकीदार को कुछ रुपए देकर अंग्रेज अधिकारी ने कपड़े और उसके खाने पीने की व्यवस्था के निर्देश दिए। श्री नागर बताते हैं कि इस बात को 75 साल से अधिक समय गुजर गया लेकिन आजादी के पहले के यह हाल सोचकर अभी भी उनकी आंखें भर आती हैं।

इस बार उज्जैन में फहराएंगे तिरंगा

श्री नागर ने बताया कि इस बार वे पुलिस परेड ग्राउंड पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उन्हाेंने बताया कि 15 अगस्त 1947 से अब तक हर स्वतंत्रता दिवस पर वे झंडा फहराते आए हैं। इस बार उन्हें उज्जैन के ज्ञानपीठ कॉलेज से ध्वजारोहण का आमंत्रण मिला है। वहां जाकर तिरंगा फहराकर भारत माता की जय बोलूंगा।

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