भोपाल - करीब 22 स्थानों पर रावण दहन के बड़े आयोजन हुए। यदि गली-मोहल्लों के आंकड़ों को भी जोड़ा जाए तो ये संख्या 1000 के आसपास पहुंचती है। इस बार दशहरा स्थलों पर पिछले साल की तुलना में चार गुना भीड़ जुटी। करीब डेढ़ साल बाद लोगों में उत्सव का ऐसा उल्लास देखा गया।
बिट्टन मार्केट- महज 11 फीट का रावण जला, सम्मान समाराेह भी
अरेरा (राजधानी) उत्सव समिति एवं दैनिक भास्कर दशहरा महोत्सव का आयोजन बिट्टन मार्केट दशहरा मैदान में हुआ। यहां महज 11 फीट के रावण का दहन किया गया था। जय-जय श्रीराम के उद्घोषों के बीच श्रीराम, लक्ष्मण व हनुमान बने पात्रों ने मैदान में मौजूद रावण के पुतले पर तीर से वार कर उसका दहन किया। यहां प्रतिभाओं का सम्मान भी हुआ। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग व पूर्व मंत्री और विधायक पीसी शर्मा अतिथि थे।
टीटी नगर- वैक्सीन रूपी तीर से दहन
टीटी नगर में आयोजित दशहरे पर कोरोना इफेक्ट नजर आया। भगवान श्रीराम ने वैक्सीन रूपी तीर से रावण का दहन किया। कुंभकर्ण का पुतना पूरा नहीं जलने पर इसे पट्रोल डालकर जलाना पड़ा। नागरिक कल्याण समिति के संयोजक अजय श्रीवास्तव नीलू और स्वागत अध्यक्ष वात्सायन सोनू भाभा ने बताया कि यहां 2020 में सिर्फ 4000 लोग जुटे थे, इस बार करीब 20 हजार लोग पहुंचे।
कलियासोत पहाड़ी- आधा घंटे आतिशबाजी
यहां 51 फीट के रावण के साथ 41 फीट के कुंभकरण व 31 फीट के मेघनाद का पुतला दहन किया गया। इसके बाद करीब आधा घंटे तक भव्य आतिशबाजी की गई। इससे करुणाधाम आश्रम के गुरु पंडित सुदेश शांडिल्य और पूर्व विधायक उमाशंकर गुप्ता ने भदभदा विश्राम घाट के दो कर्मचारियों और दो महिला पुलिसकर्मियों का सम्मान किया।
छोला- 5 करोड़ से प्रदेश का सबसे अच्छा दशहरा मैदान बनेगा
पुराने शहर के सबसे पुराने छोला दशहरा मैदान रात साढ़े दस बजे 51 फीट ऊंचे रावण का दहन हुआ। करीब 40 हजार लोगों की मौजूदगी में जयकारों के बीच छोला मंदिर के महंत जगदीशदास, गुफा मंदिर के महंत रामप्रवेशदास और मंत्री विश्वास सारंग ने भगवान राम का विजय तिलक किया। मंत्री सारंग ने छोला दशहरा मैदान का पांच करोड़ की राशि से विकास कराने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश का सबसे अच्छा दशहरा मैदान बनाया जाएगा।
यहां भी हुआ रावण दहन
शहर में अवधपुरी, करोंद, अशोका गार्डन, आनंद नगर, बरखेड़ा पठानी, बैरागढ़, गांधी नगर, कोहेफिजा, लालघाटी विजयनगर, शाहपुरा, शिवाजी नगर, अयोध्या बायपास आदि इलाकों में भी दशहरे पर रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया। इसके बाद भगवान श्रीराम का विजय तिलक हुआ। कई स्थानों पर रंगारंग आतिशबाजी भी की गई।
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