पोहरी विधानसभा क्षेत्र बैराड़ तालाब का जल संसाधन विभाग द्वारा 1.80 लाख रुपए की लागत से कराए जा रहे जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण में सफेद गिट्टी व क्रेशर डस्ट का उपयोग किया जा रहा है। इससे ना केवल तालाब का निर्माण कार्य कमजोर हो रहा है। बल्कि सुंदरता में भी मजबूती नहीं आ रही है। गौरतलब है कि तालाब का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण कर रही कोटा की गुडविल एडवांस कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा निर्माण कार्य में महुअर रेत की जगह धूल मिट्टी मिली गिट्टी की डस्ट के उपयोग किया जा रहा है।
साथ ही अन्य सामग्री भी गुणवत्ता हीन स्थानीय लोगों द्वारा बताई जा रही है। गुडविल एडवांस कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर अमलेश मिश्रा द्वारा ने बताया है कि हमारे द्वारा डस्ट नहीं हम क्रेशर सेंस का उपयोग कर रहे हैं। क्योंकि लोकल रेत महुआ में मिट्टी मिली होती है, इससे गुणवत्ता अच्छी नहीं मिल पाती है। इसके चलते हम क्रेशर से बनी महुआ का उपयोग कर रहे हैं। जल संसाधन विभाग के एसडीओ आर एस सेजवार का कहना है कि मेरे द्वारा दो दिन पहले ही बैराड़ व पचीपुरा तालाब का निरीक्षण किया गया था। इसमें ऐसा कुछ नहीं था। यदि ऐसा है तो मैं दिखाता हूं।
काली मिट्टी की जगह किया जा रहा है सफेद गिट्टी का उपयोग
नगर परिषद बैराड़ क्षेत्र में घाटी के नीचे बने बड़े तालाब पर जल संसाधन विभाग द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य में निर्माण कंपनी द्वारा निर्माण निर्माण कार्य में काली गिट्टी का उपयोग ना करते हुए सफेद पत्थर की गिट्टी का उपयोग किया जा रहा है। वही महुअर रेता का उपयोग ना करते हुए डस्ट से क्रेशर रेत का उपयोग किया जा रहा है।
इसके चलते इस निर्माण कार्य पर बैराड़ के स्थानीय जागरूक लोगों द्वारा गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बैराड़ पूर्व पार्षद राजीव सिंघल एवं अंकित गुप्ता ने ठेकेदार पर घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग किए जाने का आरोप लगाते हुए बताया कि इस तालाब की पार की ऊंचाई बढ़ाने के लिए कराए जा रहे निर्माण कार्य में गुणवत्ता वाली काली गिट्टी का उपयोग नहीं किए जाने की बात कही है।
रेत की जगह पर किया जा रहा है थ्रेसर डस्ट का उपयोग
सुंदरीकरण निर्माण कार्य में निर्माण कंपनी गुडविल एडवांस कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा नियमों को ताक पर रखकर इस तालाब की पार की ऊंचाई बढ़ाने के लिए सफेद गिट्टी के साथ कमजोर सरिया का उपयोग किया जा रहा है। वहीं रेत महुअर की जगह मिट्टी मिली गिट्टी की डस्ट का उपयोग निर्माण कार्य किया जा रहा है। तालाब के निर्माण के शुरुआती दौर से निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर क्षेत्र के किसान और सामाजिक कार्यकर्ता अंगुली उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य में ठेकेदार द्रारा अनियमितताएं की जा रही हैं। धूल मिली रेत से निर्माण अच्छा नहीं होगा। वहीं कंपनी के इंजीनियर द्वारा सभी रेत गिट्टी को लैब टेस्ट कराने के बाद ही उपयोग करने की बात कही है।
तालाब की गुणवत्ता को कमजोर किया जा रहा है
तालाब के सौंदर्यीकरण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है सफेद गिट्टी व धूल मिली में रहता का उपयोग कर गुणवत्ता कमजोर की जा रही है।
अंकित गुप्ता, निवासी बैराड़
क्रेशर सेंस का उपयोग किया जा रहा है
निर्माण कार्य धूल या किसी पाउडर का उपयोग नहीं, हमारे द्वारा क्रेशर सेंस का उपयोग किया जा रहा है। क्योंकि लोकल रेता में मिट्टी होने के चलते गुणवत्ता कमजोर होती है। इसलिए मजबूत निर्माण कार्य के लिए क्रेशर सेंस का उपयोग कर रहे।
अमलेश मिश्रा, इंजीनियर गुडविल एडवांस कंस्ट्रक्शन कंपनी
सफेद पत्थर की गिट्टी का उपयोग लैब टेस्टेड है
मैंने 2 दिन पहले ही बैराड़ और पचीपुरा तालाब के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया था। इसमें सफेद गिट्टी का उपयोग लैब से टेस्ट करने के बाद ही किया जा रहा है। यदि ऐसा है तो मैं और दिखाता हूं।
आरएस सेजवार, एसडीओ जल संसाधन विभाग बैराड़
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