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सेना से रिटायर हुए तो झोपड़ी के बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा दे रहे, सुंदर लेख्रन का कोर्स भी डिजाइन किया

 


ग्वालियर थल सेना से रिटायर हुए हवलदार रामसुदेश राठौर झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान दे रहे हैं। राठौर मानते हैं कि इन बच्चों को हिंदी में तो शिक्षा दी जा रही है, लेकिन अंग्रेजी में इनका ज्ञान न के बराबर है इसलिए इन्हें अंग्रेजी की बेसिक शिक्षा जरूर देना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले इन्होंने बच्चों को अंग्रेजी लिखना सिखाने का काम शुरू किया है।

राठौर ने अंग्रेजी में सुंदर लेखन का 12 दिन का एक पाठ्यक्रम डिजाइन किया है और इससे वह झोपड़ी में रहने वाले बच्चों का अंग्रेजी भाषा से परिचय और अंग्रेजी सुलेख करवा रहे हैं। इनके पास 150 ऐसे बच्चे थे जो पढ़ने आते हैं, अंग्रेजी के कोर्स के लिए फिलहाल इन्होंने 60 बच्चों का चयन किया है और उनके साथ अंग्रेजी यात्रा शुरू की है।

भारतीय थल सेना से रिटायर हवलदार रामसुदेश राठौर वर्तमान में शासकीय हाईस्कूल पारसेन ग्वालियर में शिक्षक हैं। विवेकानंद नीडम में संचालित सेवार्थ पाठशाला में अध्ययनरत डेढ़ सौ बच्चों में से उन्होंने 60 बच्चों को चयनित कर अंग्रेजी भाषा के सुंदर लेखन हेतु 12 दिन का एक पाठ्यक्रम डिजाइन किया।

24 किलोमीटर की यात्रा कर अंग्रेजी भाषा का सुलेख किस प्रकार आकर्षक और अपेक्षित गति से दिया जा सकता है इसका प्रशिक्षण दे रहे हैं। इन्होंने तिकोनिया मुरार में लुई ब्रेल छात्रावास में निवासरत 18 बच्चों को भोजन रोजगार तथा इसके अतिरिक्त ग्वालियर शहर में निवासरत लगभग 4 परिवारों को निजी कंपनियों में भी रोजगार दिलवाया है।

हाईस्कूल कर सेना में हुए थे भर्ती रिटायरमेंट के बाद एमए, डीएड किया

राठौर कहते हैं कि 1986 में वह आर्मी मेडिकल कोर में भर्ती हुए थे। पढ़ाई में रुचि थी, इसलिए स्वध्यायी विद्यार्थी के रूप में पढ़ाई जारी रखी। सेना से दिसंबर 2010 में रिटायर हुए तब अंग्रेजी में एमए और डीएड कर चुके थे। 2011 में वर्ग-2 में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई तब परीक्षा देकर इसमें सिलेक्ट हुए। सितंबर 2021 से पारसेन में पदस्थ हैं।। 2020 में बीएड कर लिया था, अब बच्चों को अंग्रेजी में इसलिए ट्रेंड कर रहे हैं ताकि कॅरियर के रास्ते में अंग्रेजी रुकावट न बने

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