लगभग दो साल हुए एक अनजान अतिथि कोरोना घर में घुस आया। लंबे अरसे से घर में जमे इस अतिथि ने खूब तबाही मचाई, लेकिन हमारे धैर्य से जीत नहीं पाया। हम बेचारे सहिष्णु भारतीय, अपने आतिथ्य की महान परम्पराओं के वाहक, इस अनजान अतिथि को भी भरपूर सम्मान देने से पीछे नहीं हटे।
आपने हमें 'पॉजिटिव' बनाया, और हमने पॉजिटिव 'रहना' सीख लिया। हमने अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी आपके सम्मान में। सो महान अतिथि, आप भी अपने अतिथि धर्म का पालन कीजिए, बिन बुलाए कहीं भी धमक जाने की अपनी आदत बदल डालिए और अच्छे अतिथि की तरह दो-चार दिन से ज्यादा कहीं डेरा मत डालिये। कहा सुना माफ कीजिए, और यथा शीघ्र पलायन कीजिए। इससे पहले कि हमें आपसे पूछना पड़े कि 'अतिथि कब जाओगे?' पिछले लगभग दो साल में कोरोना से जद्दोजहद को दर्शाते दैनिक भास्कर के कार्टूनिस्ट मंसूर नकवी के 20 कार्टून...
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