केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को विधानसभा सभागार में नई शिक्षा नीति पर व्याख्यान में मातृभाषा पर जोर देते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार में उन पर ढेरों केस लादे गए थे। जिला अदालत में बड़े वकीलों को देखा। ये सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों से ज्यादा दक्ष थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में बहस नहीं कर सकते थे, क्योंकि फर्राटेदार अंग्रेजी नहीं बोल सकते थे।
अंग्रेजी के मोह में हमारे टेलेंट का केवल 5 प्रतिशत उपयोग देश के विकास में हो रहा है। क्योंकि 95 प्रतिशत बच्चे मातृभाषा में पढ़े हैं। क्या उनमें टेलेंट की कमी है। हम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 5 प्रतिशत उपयोग में इतना आगे बढ़े है। सोचिए शत-प्रतिशत टेलेंट उपयोग करेंगे तो कितना आगे होंगे।
नई नीति में बताईं रोजगार, रिसर्च और तकनीक की संभावनाएं
विशेषज्ञों ने सराही नई नीति- शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने भारतीयों के मन में हीन भावना पैदा करने के लिए अंग्रेजी को योग्यता का मापदंड बनाया। नई शिक्षा नीति में अपनी भाषा में पढ़ाई का प्रावधान है। इस संबंध में कई विशेषज्ञों से चर्चा की है।
कोई इसमें रोजगार की प्रबल संभावनाएं देखता है, तो कोई टेक्नोलॉजी और अनुसंधान के लिए पर्याप्त स्पेस देखता है और किसी को अच्छे पाठ्यक्रम दिखाई देते हैं। शाह कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी वर्ष समारोह के अंतर्गत संबोधित कर रहे थे।
शाह की चुटकी- मुझसे शिक्षा नीति पर क्यों बुलवा रहे..?
शाह ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से कहा कि मुझे एक बात समझ नहीं आई। गृह मंत्री को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोलने के लिए क्यों बुलाया गया है। शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू कराने की पहल पर बधाई दी।
नीति के गिनाए ये फायदे
- देश में पाठ्यक्रम और परीक्षा में प्रवेश एक जैसा होगा। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी इस पर काम कर रही है।
- पहले की शिक्षा नीति बच्चों को एक सफल प्रोफेशनल, डॉक्टर, इंजीनियर तो बना सकती थी पर देश महान व्यक्तियों के कारण महान होते हैं।
- शिक्षा नीति से भारत वर्ष 2030 तक ग्लोबल स्टडी डेस्टिनेशन बन जाएगा। फिर से दुनिया के लोग यहां पढ़ने आएंगे।
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