जाति बाद के कारण महिला का जीवन हुआ नर्क ,से भी ज्यादा कस्ट दायक,
आज हम बह सच से अवगत कराने जा रहें जो आप को इंसानियत के नाम पर झकजोर देगी और शासन की अंतर जातिय (जात पात को खत्म करने बाली योजना ) को समाप्त करने बाली योजनाये धरातल पर जीरो नजर आएंगी
अफसोस मध्य प्रदेश में 20 साल (BJP) भारतीय जनता पार्टी के शासन चलाने के बाबजूद भी अंतर जातिय खत्म नहीं कर सका
अंतर जातिय विवाह पर शासन होने वाले फायदे धरातल पर जीरो नजर आते है ?
शिवपुरी जिले में अंतर जातिय विवाह से होने वाले फायदे सिर्फ कागजों में ही नजर आते हैं ?
जिले में आदिम जनजाति विभाग सिर्फ ऑफिस तक ही सीमित रह गया ?
हिंदू मंच > हिंदू एकता की बाते करने वाले सिर्फ मंच से ही अच्छा लगता है धरातल पर कोई काम नही
हिंदू एकता के ज्ञान देने से काम नहीं चलता जमीनी हाकीगत भी देखनी चहिए !
शिवपुरी जिले में जाति बाद कुछ ज्यादा ही देखने को मिलता है
जैसे >
मिली जानकारी अनुसार हम आप को बता दें कि अंतर्जातीय शादी का जात पात का झेल रही आदिवासी महिला : 12 साल के बेटे की मौत के बाद नहीं आया समाज, पति की मौत पर भी यही हुआ था
शिवपुरी के अमोला में हुई 20 साल पहले अन्य समाज में शादी करने की सजा अब भी झेलना पढ़ रहा हैं। हम आप को बाय दे कि महिला के पति की मौत के चार साल बाद 12 साल के बेटे की मौत हो गई। लेकिन समाज और गांव के लोग अंतिम संस्कार के लिए नहीं आये। सूचना के बाद सरपंच ने पहुंचकर अंतिम संस्कार कराया।
आदिवासी महिला और ब्राह्मण ने कर ली थी शादी -
जानकारी के मुताबिक़ अमोला के रहने वाले अशोक पाण्डेय ने लगभग 20 साल पहले काजल आदिवासी महिला से शादी कर ली थी। इस शादी से खफा होकर समाज ने अशोक पाण्डेय और उसके परिवार से किनारा कर लिया था। गांव विस्तापित होने के बाद अशोक अपनी पत्नी काजल के साथ अमोला कालोनी में रहने लगा था। इस दौरान उन्हें तीन लड़के पैदा हुए थे। लेकिन 2020 कोरोना काल में अशोक पाण्ड़ेय की मौत हो गई थी। तब से काजल पाण्डेय अपने तीन बेटों के साथ रह रही थी और मजदूरी कर जैसे तैसे अपना और अपने परिवार का पेट पाल रही थी। आज महिला का सबसे बड़ा बेटा सोनू 18 साल का हैं। दूसरा बेटा अमित 12 साल का हो चुका था वहीँ एक सबसे छोटा 8 का बेटा भी हैं।
बेटे की मौत पर समाज ने किया किनारा -
बताया गया हैं कि पति की मौत के बाद बेटों को पालने के लिए काजल मजदूरी कर अपने परिवार को पाल रही थी। लेकिन इस बीच उसका 12 साल का बेटा अमित को बिमारी ने जकड लिया था। काजल उसके उपचार में भी लगी हुई थी। बताया गया हैं कि काजल अपने बेटे अमित को लेकर कोलारस क्षेत्र में मजदूरी करने गई हुई थी। तभी 12 साल के अमित की तबियत बिगड़ गई थी। बीमार अमित की मां उसे लेकर गुरूवार को बापस अपने घर लौट रही थी। लेकिन उसकी मौत रास्ते में हो गई थी। लेकिन सड़क से घर तक बच्चे का शव ले जाने के लिए कोई ग्रामीण नहीं आया। तब काजल और उसका बड़ा बेटा अमित के शव को घर तक जैसे-तैसे ले गए।
नहीं आया अंतिम संस्कार में शामिल होने समाज, न गांव -
गुरूवार को शाम ढलने लगी थी लेकिन १२ साल के अंतिम संस्कार करवाने न समाज के लोग आये और न ग्रामीण पहुंचे थे। एक मां और उसके बड़े बेटे की अकेले शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना बस की बात नहीं थी। इसकी सूचना सरपंच अतर सिंह को लगी थी। इसके बाद सरपंच महिला के घर पहुंचकर उसके बेटे के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूर्ण किया और सरपंच ने ही 12 साल के बालक अमित की चिता को अग्नि दी।
पति की मौत में भी शामिल होने नहीं आया था समाज -
बताया गया हैं कि कोरोना काल में महिला के पति अशोक पान्डेय की मौत हुई थी। लेकिन उस वक्त भी अंतिम संस्कार में शामिल होने समाज नहीं आया था। तब भी सरपंच अतर सिंह ने पहुंचकर परिवार की मदद की थी। सरपंच अतर सिंह बताते हैं कि महिला की दयनीय स्थिति में हैं उसे अब तक आवास योजना का लाभ भी नहीं मिला हैं।
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