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Shivpuri News : वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने प्रयास में राजनीति के चलते शिवपुरी कलेक्टर से धर्मपुरा के 25 से अधिक आदिवासी परिवारों ने वनविभाग से स्थाई पट्टे की लगाई गुहार

शिवपुरी जिले की तहसील कोलारस की ग्राम पंचायत गौरा टीला के अंतर्गत आने वाले गांव धर्मपुरा में पिछले 40-50 वर्षों से झुग्गी-झोपड़ी बनाकर निवास कर रहे लगभग 25 से अधिक आदिवासी परिवारों ने वनमंडलाधिकारी शिवपुरी से स्थाई पट्टे दिलाने की मांग की है। इन परिवारों ने बताया कि वे वर्षों से मेड फार्म के पास स्थित भूमि पर निवासरत हैं, लेकिन अब वनविभाग उन्हें उस भूमि से बेदखल करने का प्रयास कर रहा है। इसकी शिकायत आज आदिवासी परिवारों ने कलेक्टर से की है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, लक्ष्मण आदिवासी, भानसिंह आदिवासी, ज्ञानसिंह आदिवासी सहित दो दर्जन से अधिक आदिवासी परिवारों ने एक संयुक्त आवेदन पत्र के माध्यम से वनमंडलाधिकारी एवं जिलाधिकारी शिवपुरी को संबोधित करते हुए बताया कि वे सभी भूमिहीन व आवासहीन मजदूर वर्ग से हैं तथा अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंध रखते हैं। वे वर्षों से उसी भूमि पर झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं, जिस पर अब वनविभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है।

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पहले भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुटीर के लिए आवेदन किया था, लेकिन भूमि के पट्टे नहीं होने के कारण उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल सका। कई लोगों के मकान बनने के बाद भी, बाकी परिवार बिना आवासीय पट्टे के ही झुग्गियों में जीवन यापन कर रहे हैं।

आदिवासी परिवारों ने इस संबंध में पूर्व में भी कलेक्टर व वनमंडलाधिकारी को आवेदन दिए थे, लेकिन अब तक उन्हें स्थाई पट्टे नहीं मिल पाए। वहीं दूसरी ओर, विभाग द्वारा नोटिस जारी कर बेदखली की कार्रवाई की जा रही है। इससे इन गरीब परिवारों के समक्ष विस्थापन और आवास संकट खड़ा हो गया है।

आवेदनकर्ताओं का कहना है कि उनके पास राशन कार्ड, समग्र आईडी, मतदाता परिचय पत्र सहित सभी दस्तावेज हैं, जो उनके वहां लंबे समय से निवासरत होने का प्रमाण हैं। उनका यह भी कहना है कि शासन के आदेशों के अनुसार यदि कोई आदिवासी वर्षों से वन भूमि या राजस्व भूमि पर काबिज है, तो उसे स्थाई पट्टा दिया जाना चाहिए।

प्रार्थियों ने अपील की है कि उनके वर्षों पुराने बसेरे से उन्हें बेदखल न किया जाए और उन्हें स्थायी पट्टे प्रदान कर शासन की योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की है कि जारी किए गए नोटिसों को निरस्त किया जाए।

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