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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बालाकोट एयरस्ट्राइक पर दिए रडार वाले बयान को लेकर विवाद छिड़ गया है. प्रधानमंत्री के बयान को लेकर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. लेकिन बालाकोट में एयरस्ट्राइक मिशन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बालाकोट एयरस्ट्राइक का प्लान बेहद सीक्रेट था इसलिए उसे ना तो स्थगित किया जा सकता था और ना ही उसमें कोई बदलाव लाया जा सकता था.

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सूत्रों का कहना है कि भारतीय वायुसेना पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी कैम्पों को निशाना बनाने वाली थी इसलिए प्लान को सीक्रेट रखा गया था. यह प्लान लीक ना हो इसके लिए इसे बदला भी नहीं जा सकता था.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बादल और रडार वाले बयान पर सूत्रों का कहना है कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के पहले यह बात उठी थी कि बादलों के कारण पायलट्स को टारगेट पॉइंट हिट करने में दिक्कत हो सकती है. क्योंकि हमले के वक्त बालाकोट की हवाई सीमा में घने बादल थे. उस वक्त सेना एक्सपर्ट्स ने हमले का दिन बदलने का भी सुझाव दिया था, लेकिन हमले के प्लान को गुप्त बनाए रखने के लिए इसे बदला नहीं गया.

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वहीं, भारतीय लड़ाकू विमानों के पूर्व पायलट्स और वैज्ञानिकों का कहना है कि लड़ाकू विमानों को बादल रडार से तो नहीं बचा सकते थे, लेकिन यह बात जरूर है कि बादलों के कारण पायलट को टारगेट की सही तस्वीर नहीं मिल पाती.

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इस बारे में रिटायर्ड एयर मार्शल विनोद भाटिया का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी उन्माद में रडार वाला बयान दिया है. इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. क्योंकि वैज्ञानिक नजरिये से देखें तो रडार को बादलों से फर्क नहीं पड़ता है. कोई भी रडार बादलों के बीच विमानों की गतिविधि पता कर लेता है.

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रिटायर्ड एयर मार्शल विनोद भाटिया ने आगे कहा कि यह बात जरूर सही है कि बादलों के कारण टारगेट पर हमला करने में दिक्कत आ सकती है. क्योंकि पायलट को सही तस्वीर मिलने में दिक्कत आती है. साथ ही हमले के बाद टारगेट के धवस्त होने की तस्वीरें भी नहीं मिल पाती. हालांकि, वायु सेना ने सिंथेटिक अपर्चर रडार का इस्तेमाल किया जिससे नुकसान की तस्वीरें दिखी हैं.

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इंडिया टुडे को यह जानकारी मिली है कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान लड़ाकू विमानों के बेड़े में शामिल कुछ विमानों में सिंथेटिक अपर्चर रडार लगा था जिसने आतंकी ठिकानों पर हमले और नुकसान की तस्वीरें मिली हैं.

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हालांकि, सूत्रों का कहना है कि यदि बादल नहीं होते तो आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक के बाद हुए नुकसान की और भी साफ़ तस्वीर मिल सकती थी.

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वेस्टर्न कमांड के रिटायर्ड एयर मार्शल पीएस अहलुवालिया ने भी इंडिया टुडे को बताया कि बादलों के कारण बालाकोट में हुए नुकसान का सही आंकलन नहीं हो पाया है. यदि साफ़ तस्वीरें होती तो कोई भी हमले पर सवाल नहीं उठा पाता. हालांकि, यह फैक्ट सही है कि भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 विमानों ने टारगेट को हिट किया है और जैश के आतंकी ठिकाने ध्वस्त हो चुके हैं.

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डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता का कहना है कि यह बात सही नहीं है कि बादल और बारिश में रडार काम नहीं करते हैं. क्योंकि रडार के सिग्नल कई बार बादल के प्रकार पर भी निर्भर करते हैं और यह बात भी देखी जानी चाहिए कि किस रडार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है.

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सेंट्रल कमांड को हेड कर चुके रिटायर्ड एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा की कुछ अलग राय है. उनका कहना है कि सभी रडार बादलों में विमानों की गतिविधि भांप सकते हैं. लेकिन यह जरूर है कि बादल कुछ दिक्कत पैदा कर सकते हैं. सिन्हा ने यह भी बताया कि मिशन के दौरान बारिश, तूफ़ान भी कई बार मिशन में दिक्कत खड़ी करते हैं.
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