ग्वालियर. प्रदेश में संभाग और जिला स्तर पर नई जेल खोलने की तैयारी है। नए साल में इस पर तेजी से काम होगा। प्रदेश में करीब 20 खुली जेल का टास्क है। ग्वालियर के जेल अधीक्षक से भी कहा है कि प्रशासन से जगह के लिए बात करो। खुली जेल में कैदी रहेंगे तो उन्हें भी समाज की मुख्यधारा में वापस जुडऩे का मौका मिलेगा, इसके अलावा जो बंदी जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, उन्हें भी अच्छा आचरण रखने की प्ररेणा मिलेगी। जेलों की सुरक्षा पर मुख्य फोकस है। इसके लिए हर पहलू पर कसावट की है। कई जेलों में चोरी छिपे मोबाइल पहुंचने के मामले सामने आते हैं, उन पर अंकुश लगाया जा रहा है।
? प्रदेश में खुली जेल का क्या प्लान है? इस पर किस हद तक काम किया जा रहा है?
- जेल मुख्यालय का पूरा फोकस खुली जेलों पर है। प्रदेश में हर संभाग और जिला स्तर पर खुली जेल बनाने के लिए प्लानिंग की जा रही है। कई जगहों का प्रस्ताव भी तैयार है। ग्वालियर, शिवपुरी में भी खुली जेल बनाने की प्लानिंग है। खुली जेल के लिए काफी जगह की जरूरत होती है। उसमें आजीवन कारावास के उन बंदियों को परिवार के साथ रहने की इजाजत दी जाती है, जो 14 साल की सजा काट चुके हैं और जेल में उनका आचरण बेहतर रहा है। ग्वालियर जेल अधीक्षक से कहा गया है कि प्रशासन से कॉर्डिनेट कर जगह तलाशें जहां खुली जेल बनाई जा सके।
? जेल की सुरक्षा के लिए क्या प्लानिंग है? किस स्तर की खामियां ज्यादातर सामने आ रही हैं?
- प्रदेश में सभी जेलों को सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता किया गया है। कुछ जेलों में मोबाइल इस्तेमाल की शिकायतें जरूर सामने आई थीं। वहां उन लोगों का भी पता लगाया गया, जिनके जरिए जेल के अंदर तक मोबाइल पहुंचे थे। इसमें जेलकर्मियों की मिलीभगत मिलने पर उन पर कार्रवाई की गई थी।
? जेल में स्टाफ की कमी किस हद तक सुरक्षा में परेशानी बन रही है, इसके लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं?
जेल स्टाफ की स्थिति फिलहाल बेहतर है। सुरक्षा के लिहाज से जेलकर्मियों को लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रहरियों को बीएसएफ के जरिए ट्रेनिंग दी जा रही है। जिससे वह हर पहलू पर खरे उतर सकें।
- जेल मुख्यालय का पूरा फोकस खुली जेलों पर है। प्रदेश में हर संभाग और जिला स्तर पर खुली जेल बनाने के लिए प्लानिंग की जा रही है। कई जगहों का प्रस्ताव भी तैयार है। ग्वालियर, शिवपुरी में भी खुली जेल बनाने की प्लानिंग है। खुली जेल के लिए काफी जगह की जरूरत होती है। उसमें आजीवन कारावास के उन बंदियों को परिवार के साथ रहने की इजाजत दी जाती है, जो 14 साल की सजा काट चुके हैं और जेल में उनका आचरण बेहतर रहा है। ग्वालियर जेल अधीक्षक से कहा गया है कि प्रशासन से कॉर्डिनेट कर जगह तलाशें जहां खुली जेल बनाई जा सके।
? जेल की सुरक्षा के लिए क्या प्लानिंग है? किस स्तर की खामियां ज्यादातर सामने आ रही हैं?
- प्रदेश में सभी जेलों को सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता किया गया है। कुछ जेलों में मोबाइल इस्तेमाल की शिकायतें जरूर सामने आई थीं। वहां उन लोगों का भी पता लगाया गया, जिनके जरिए जेल के अंदर तक मोबाइल पहुंचे थे। इसमें जेलकर्मियों की मिलीभगत मिलने पर उन पर कार्रवाई की गई थी।
? जेल में स्टाफ की कमी किस हद तक सुरक्षा में परेशानी बन रही है, इसके लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं?
जेल स्टाफ की स्थिति फिलहाल बेहतर है। सुरक्षा के लिहाज से जेलकर्मियों को लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रहरियों को बीएसएफ के जरिए ट्रेनिंग दी जा रही है। जिससे वह हर पहलू पर खरे उतर सकें।
