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नया नियम : बंदूक साथ में रखना है तो पहले करना होगी 'गौ सेवा'


ग्वालियर/ जिले में अगर कोई रसूखदार व्यक्ति किसी गौशाला में गाय की सेवा करते हुए नजर आए, तो उसे देखकर बिलकुल भी हैरान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हो सकता है कि, वो शस्त्र लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया पूरी कर रहा हो। जी हा, कलेक्टर के नए आदेश के मुताबिक, जिले में अब शस्त्र लाइसेंस की चाह रखने वालों को पहले नवाचार का कार्य करना होगा। हालांकि, गौ सेवा का ये नवाचार एच्छिक होगा।पहले भी किये जा चुके हैं कुछ सफल प्रयास
इससे पहले जिले के गरीबों को कबंल दान कराने की योजना सफल होने के बाद अब कलेक्टर द्वारा नवाचार की इस व्यवस्था का प्रयास किया है, ताकि लोगों में गौ के प्रति प्रेम और तीन दिनों तक उसके जीवन से जुड़ने का मौका मिल सके। इस व्यवस्था के तहत बंदूक लाइसेंस की चाहत रखने वालों को तीन दिनों तक गोशाला में सेवा कार्य कर पुण्य कमाना होगा। साथ ही, मार्क गोशाला के क्षेत्रफल में अब 8 बीघा जमीन और जोड़ी जाएगी। इससे यहां करीब एक हजार गोवंश और रह सकेगा। इसके जरिये गोशाला की व्यवस्थाओं पर भी नजर रखी जाना आसान हो सकेगी। बता दें कि, इससे पहले कलेक्टर अनुराग चौधरी ने बंदूक लाइसेंस लेने वालों को प्रति आवेदन 10 कंबल गोशाला में दान करने की योजना बनाई थी, जो काफी सफल साबित हुई थी। इसके तहत कुछ ही दिनों में एकत्रित हुए एक हजार कबंल गौशाला को दान किये गए थे।
इसलिए लिया गया ये खास फैसला
अब गौशाला में रहने वाली सभी गायों के लिए ठंड से बचने के लिए पर्याप्त कंबल तो हो गए थे, लेकिन जिले की लालटिपारा गोशाला के व्यवस्थापक संत ऋषभानंद महाराज के मुताबिक, उन्होंने कलेक्टर के सामने ये बात रखी थी कि, इस तरह सभी गायों को ठंड से तो बचाया जा सकता है, लेकिन थोड़ी थोड़ी देर में ये कंबल गीले हो जाते हैं, जिन्हें समय समय पर बदलना पड़ता है। लेकिन समस्या ये हैं कि, समय पर कंबल बदलने के लिहाज से पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं। इसे सुचारू रखने के लिए कम से कम छह कर्मचारियों की व्यवस्था मॉर्क गोशाला में होना जरूरी है। इसका निराकरण करते हुए कलेक्टर ने इस व्यवस्था को लागू किया है। नवाचार के तहत जो शस्त्र लाइसेंस की मांग करेगा उसे पहले तीन दिन गोशाला में सेवा करनी होगी। इससे उन्हें पुण्य तो मिलेगा ही, साथ ही कर्मचारियों की कमी की समस्या का समाधान भी होगा। साथ ही साथ इसके जरिये शासन को गोशाला की व्यवस्थाओं और वहां के कामों की जानकारी भी मिलती रहेगी।
सामाजिक सरोकार का प्रयास
आपको बता दें कि, शस्त्र रखना ग्वालियर चंबल संभाग की पहचान है। यही कारण है कि, जिले में सबसे ज्यादा बंदूक पर लाइसेंस लिये जाने का क्रेज है। हालांकि, ये जरूरी नहीं कि, आपको गौ सेवा करनी ही होगी। इसके अलावा शस्त्र लाइसेंस लेने से पहले आप पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सरोकार के तहत पौधे लगाने या गौशाला को कंबल दान करने की भी व्यवस्था है। लायसेंस के आवेदक का सामाजिक-आर्थिक बैकग्राउंड भी आवेदन से स्पष्ट हो जाता है। हालांकि, किसी विशेष परिस्थति वाले आवेदन में ये बिंदु लागू नहीं होगी। बता दें कि, कलेक्टर अनुराग चौधरी द्वारा जारी नवाचार, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सरोकार की इस अनोखी पहल को सोशल मीडिया पर भी काफी सराहा जा रहा है। लोगों का कहना है कि, ये हमें हमारी जिम्मेदारी निभाने का एक खास और अनोखा तरीका है।