हमें सपने क्यों दिखाई देते है? ये सवाल कई बार आपके दिमाग में जरूर आते होंगे, तो आईये जानते है ऐसा क्यों होता है। सपने वास्तव में निंद्रावस्था में होने वाली क्रियाओं का परिणाम है। कुछ लोगो का कहना है कि उन्हें सपने नही आते, लेकिन कुछ लोग कहना है कि उन्हें बहुत सपने दिखाई देते है।
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार निद्रावस्था में हर व्यक्ति को रोजाना दो तीन बार सपने आते हैं, लेकिन कुछ लोगो को सपने की घटनाएं याद रहती हैं तो कुछ लोग भूल भी जाते है। सपनों के विषय में लोगों के कई मत हैं।
एक सिद्धांत के अनुसार सोते समय व्यक्ति जो मानसिक स्थिति होती है उसी से संबंधित सपने उसे दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति सोते समय भूखा या प्यासा है, तो उसे भोजन और पानी के बारे में सपने दिखाई देते है और यदि कोई व्यक्ति किसी तनाव की स्थति में हैं, तो उसे कुछ इस प्रकार के सपने भी आ सकते है जिससे की उसे मानसिक शांति महसुस होती हो और वह तनावमुक्त मुक्त हो जाए।
एक अन्य तथ्य के अनुसार जो इच्छाएं हमारे जीवन में पूरी नहीं हो पा रही है वो सपनों में पूरी हो जाती है। हमारे मन की दबी भावनाएं अक्सर सपनों में पूरी हो जाती है, साथ ही सपनों के द्वारा मानसिक तनाव भी कम हो जाता है।जब हमें सपने दिखाई देते है तब हमारी आंखो की गति तेज हो जाती है, मस्तिष्क से पैदा होने वाली तरंगो की बनावट में भी अंतर आ जाता है और शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन होने के साथ ही शरीर की मांसपेशियाँ भी शिथिल हो जाती है और तब मस्तिष्क का सोचने वाला हिस्सा इन संकेतो को समझने की कोशिश करता है। इस स्लीप मोड में आ जाने पर ही सपने आना शुरू होते है।
इन सब परिवर्तनों का अध्ययन वैज्ञानिकों ने किया है, परन्तु अभी भी इस जटिल क्रिया को पूरी तरह से समझने के लिए खोज जारी है। लेकिन यह निश्चय है कि सपने आने का अपना महत्व है । कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि सपनों द्वारा मस्तिष्क अगले दिन के कार्यकलापों के लिए स्वयं को तैयार करता है। कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि सपनोंं में उनकी बहुत सी समस्याओं का समाधान हुआ है, यहां तक कई वैज्ञानिकों को उनकी समस्याओं का हल सपनों में ही मिला है। कई शोधों में यह सिद्ध हो चुका है कि सपनों का दिखाई देना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बेहतर होता हैं
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार निद्रावस्था में हर व्यक्ति को रोजाना दो तीन बार सपने आते हैं, लेकिन कुछ लोगो को सपने की घटनाएं याद रहती हैं तो कुछ लोग भूल भी जाते है। सपनों के विषय में लोगों के कई मत हैं।
एक सिद्धांत के अनुसार सोते समय व्यक्ति जो मानसिक स्थिति होती है उसी से संबंधित सपने उसे दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति सोते समय भूखा या प्यासा है, तो उसे भोजन और पानी के बारे में सपने दिखाई देते है और यदि कोई व्यक्ति किसी तनाव की स्थति में हैं, तो उसे कुछ इस प्रकार के सपने भी आ सकते है जिससे की उसे मानसिक शांति महसुस होती हो और वह तनावमुक्त मुक्त हो जाए।
एक अन्य तथ्य के अनुसार जो इच्छाएं हमारे जीवन में पूरी नहीं हो पा रही है वो सपनों में पूरी हो जाती है। हमारे मन की दबी भावनाएं अक्सर सपनों में पूरी हो जाती है, साथ ही सपनों के द्वारा मानसिक तनाव भी कम हो जाता है।जब हमें सपने दिखाई देते है तब हमारी आंखो की गति तेज हो जाती है, मस्तिष्क से पैदा होने वाली तरंगो की बनावट में भी अंतर आ जाता है और शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन होने के साथ ही शरीर की मांसपेशियाँ भी शिथिल हो जाती है और तब मस्तिष्क का सोचने वाला हिस्सा इन संकेतो को समझने की कोशिश करता है। इस स्लीप मोड में आ जाने पर ही सपने आना शुरू होते है।
इन सब परिवर्तनों का अध्ययन वैज्ञानिकों ने किया है, परन्तु अभी भी इस जटिल क्रिया को पूरी तरह से समझने के लिए खोज जारी है। लेकिन यह निश्चय है कि सपने आने का अपना महत्व है । कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि सपनों द्वारा मस्तिष्क अगले दिन के कार्यकलापों के लिए स्वयं को तैयार करता है। कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि सपनोंं में उनकी बहुत सी समस्याओं का समाधान हुआ है, यहां तक कई वैज्ञानिकों को उनकी समस्याओं का हल सपनों में ही मिला है। कई शोधों में यह सिद्ध हो चुका है कि सपनों का दिखाई देना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बेहतर होता हैं
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