
एमपी के सभी ज़िलों को ब्लड कलेक्शन एंड ट्रांसपोर्टेशन वैन देने की तैयारी
भोपाल. अस्पतालों में भर्ती मरीजों को जरूरत के समय ब्लड (Blood) नहीं मिलने की वजह से कई बार जान पर बन आती है. इसमें से अधिकतर केस गर्भवती महिलाओं की मौत के हैं. जब भोपाल, इंदौर जैसे बडे शहरों में भी मरीजों को वक्त पर खून नहीं मिल पाता तो प्रदेश के दूसरे जिलों और ग्रामीण इलाकों के हालत तो और भी ज्यादा खराब है. प्रदेश के ब्लड बैंकों (Blood Banks) में अधिकांश समय ब्लड की कमी बनी रहती है. स्वास्थ्य विभाग ने मामले पर संज्ञान लिया है और इस कमी को पूरा करने एक नई योजना बनाई है. विभाग ने अब वॉलेंट्री ब्लड डोनेशन (Voluntary blood donation) को बढावा देने के लिए सभी जिलों को बीसीटी यानी ब्लड कलेक्शन एंड ट्रांसपोर्टेशन वैन देने की तैयारी शुरू कर दी है. इस वैन से ग्रामीण इलाकों में ब्लड डोनेशन कैंप लगाकर रक्तदान को बढावा दिया जायेगा
एनीमिया है मौत का बड़ा कारण
प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिती ऐसी है कि 70 फीसदी गर्भवती महिलाएं खून की कमी से ग्रसित हैं. इनमें से कई महिलाओं की टाईम के पहले प्री डिलीवरी होने के कारण नवजात दम तोड़ देते हैं या अबार्शन की नौबत आ जाती है. एनएचएम के डिप्टी डायरेक्टर पंकज शुक्ला की मानें तो नवजातों की मौत का ये भी एक बड़ा कारण है. इस स्थिति में जो बच्चे जीवित रह जाते हैं, उनका बचपन भी असुरक्षित रहता है. ब्लड बैंक में ज्यादातर लोग सिर्फ ब्लड लेने जाते हैं, लेकिन विभाग ने अब एक नया प्रस्ताव तैयार किया है. स्वास्थ्य विभाग अब स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की पुरज़ोर कोशिश में लगा है.
प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिती ऐसी है कि 70 फीसदी गर्भवती महिलाएं खून की कमी से ग्रसित हैं. इनमें से कई महिलाओं की टाईम के पहले प्री डिलीवरी होने के कारण नवजात दम तोड़ देते हैं या अबार्शन की नौबत आ जाती है. एनएचएम के डिप्टी डायरेक्टर पंकज शुक्ला की मानें तो नवजातों की मौत का ये भी एक बड़ा कारण है. इस स्थिति में जो बच्चे जीवित रह जाते हैं, उनका बचपन भी असुरक्षित रहता है. ब्लड बैंक में ज्यादातर लोग सिर्फ ब्लड लेने जाते हैं, लेकिन विभाग ने अब एक नया प्रस्ताव तैयार किया है. स्वास्थ्य विभाग अब स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की पुरज़ोर कोशिश में लगा है.

प्रदेश में खून की कमी से बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाओं की मौत होती है
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े देते हैं गवाही
>> अप्रैल से नवंबर 2019 तक 34,655 में 23,919 गर्भवती महिलाओं में खून की कमी पाई गई. 1193 में खून की गंभीर कमी मिली
>> अप्रैल 2019 में दिसंबर 2019 तक ज़िले में 30 मातृ मृत्यु हुई इसमें 12 डिलीवरी के बाद अधिक रक्तस्राव से हुई हैं >> डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रसव के बाद रक्तस्त्राव से लगभग 30 प्रतिशत और 20 प्रतिशत मातृ मृत्यु का संबंध गर्भावस्था में खून की कमी है.
इस हालत का जिम्मेदार कौन?
प्रदेश भर में हर साल लगभग साढ़े 7 लाख यूनिट ब्लड की जरूरत होती है. स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के ब्लड बैंकों को 5 लाख यूनिट ब्लड कलेक्शन का टारगेट दिया है, लेकिन अब तक सिर्फ सवा 3 लाख यूनिट ब्लड ही कलेक्ट हो पाया है. हर जिले में लगभग 40 से 45 लाख रूपए की बीटीसी वैन को तैनात किया जायेगा. इसमें डोनर के लिए बेड, फ्रीजर, और एयर कंडीशनर के साथ लगभग 100 यूनिट ब्लड स्टोरेज की व्यवस्था होगी. जिला अस्पतालों के ब्लड बैंक प्रभारी और मेडिकल ऑफिसर्स की निगरानी में बीसीटी वैन संचालित होगी. सीएचसी, पीएचसी और ग्रामीण इलाकों में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर लगाने के लिए सीएमएचओ इसकी अनुमति देंगे.
पक्ष विपक्ष में आरोप प्रत्यारोपप्रदेश भर में हर साल लगभग साढ़े 7 लाख यूनिट ब्लड की जरूरत होती है. स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के ब्लड बैंकों को 5 लाख यूनिट ब्लड कलेक्शन का टारगेट दिया है, लेकिन अब तक सिर्फ सवा 3 लाख यूनिट ब्लड ही कलेक्ट हो पाया है. हर जिले में लगभग 40 से 45 लाख रूपए की बीटीसी वैन को तैनात किया जायेगा. इसमें डोनर के लिए बेड, फ्रीजर, और एयर कंडीशनर के साथ लगभग 100 यूनिट ब्लड स्टोरेज की व्यवस्था होगी. जिला अस्पतालों के ब्लड बैंक प्रभारी और मेडिकल ऑफिसर्स की निगरानी में बीसीटी वैन संचालित होगी. सीएचसी, पीएचसी और ग्रामीण इलाकों में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर लगाने के लिए सीएमएचओ इसकी अनुमति देंगे.
जहां विपक्ष के पूर्व मंत्री विश्वास सारंग मातृ-शिशु मृत्यु दर के आकड़ों को देखकर इस प्लान को मात्र सरकार की घोषणा का करार दे रहे हैं, वहीं स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट इस पूरी व्यवस्था को बेपटरी करने के लिए पूर्व सरकार को जिम्मेदार बताते हैं.
विभाग के प्रयास
विभाग की मानें तो वॉलेंट्री ब्लड डोनेशन ना होने की वजह से खून नहीं मिल पाता. दूर के इलाकों में गर्भवती महिलाओं और गंभीर घायलों को जरूरत के समय ब्लड के लिए परेशान होना पड़ता है. मरीजों को जरूरत के समय पहले डोनर लेकर जाना पड़ता है. हालांकि विभाग ने पहले ही आदेश दिए हैं कि गर्भवती महिलाओं और गंभीर घायलों को बिना एक्सचेंज के ब्लड दिया जाये इसके लिए अब जिला अस्पतालों में बीटीसी वैन डोनेशन कैंप से ब्लड कलेक्ट कराया जाएगा.
विभाग की मानें तो वॉलेंट्री ब्लड डोनेशन ना होने की वजह से खून नहीं मिल पाता. दूर के इलाकों में गर्भवती महिलाओं और गंभीर घायलों को जरूरत के समय ब्लड के लिए परेशान होना पड़ता है. मरीजों को जरूरत के समय पहले डोनर लेकर जाना पड़ता है. हालांकि विभाग ने पहले ही आदेश दिए हैं कि गर्भवती महिलाओं और गंभीर घायलों को बिना एक्सचेंज के ब्लड दिया जाये इसके लिए अब जिला अस्पतालों में बीटीसी वैन डोनेशन कैंप से ब्लड कलेक्ट कराया जाएगा.
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