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लॉक डाउन के दौरान बच्चों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने का अच्छा मौका shivpuri news


शिवपुरी। संपूर्ण देश बंद है, घर से बाहर निकलना जोखिमपूर्ण है, आप काम पर नहीं जा पा रहे हैं, बच्चों के स्कूल बंद है, ऐसे माहौल में तनाव और घबराना सामान्य बात है। अधिकांश लोग खाली समय के सदुपयोग को लेकर चिंतित हैं कि क्या करें, जो समय का सही उपयोग हो।
बाल संरक्षण अधिकारी राघवेन्द्र शर्मा का कहना है कि इस खाली समय का निवेश बच्चों की बेहतरी के लिए कर सकते हैं। समय का यह निवेश बच्चों के विकास और सुरक्षा में मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है। यह सामयिक निवेश बचपन को एक सुरक्षित और बेहतर भविष्य दे सकता है।
अमूमन कामकाजी माता-पिता अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते, जिसके कई दुष्परिणाम समय-समय पर देखने को मिलते हैं। माता-पिता बच्चों पर आर्थिक निवेश तो खूब करते हैं, लेकिन बचपन पर समय का निवेश नहीं हो पाता। वर्तमान बचपन को समय की सर्वाधिक आवश्यकता है।
एक और बात, बच्चों के साथ बिताया गया समय क्वालिटी टाइम मुफ्त और मजेदार होता है, जो उम्र के बंधनों को तोड़कर बचपन की यादों को तरोताजा करने में सहायक होता है। बच्चों के साथ बिताया गया समय, बच्चों को स्नेह और सुरक्षा का एहसास दिलाता है। समय का निवेश बच्चों को यह अनुभव कराता है कि वे आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।
ऐसे गुजारें बच्चों के साथ समय
बच्चों के साथ बैठें, उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनें। उनके साथ उम्र के अनुपातिक पारंपरिक (इनडोर गेम्स) खेल खेलें। उन्हें अपने जीवन के अविस्मरणीय प्रसंग तथा महापुरुषों के प्रेरक प्रसंग सुनाकर प्रोत्साहित करें। अनुशासन एवं संस्कारों की शिक्षा दें।
बच्चों के साथ बैठना, उनकी बातों को ध्यान से सुनना, आत्मबल को बढ़ाने में सहायक होती है। उन्हें खेल-खेल में स्वच्छता के संबंध में बताएं। जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण के विषय में बताइए। यदि आप साइबर अपराधों के संबंध में जानते हैं, तो उनसे बचाव के संबंध में भी बता सकते हैं।
सुरक्षा के प्रति सजग करें
अपने बच्चों की जरूरतों को सुनें और समझें, हालांकि उनकी हर जरूरत को पूरा करना जरूरी नहीं होता, जो अनावश्यक जरूरतें हैं, उनकी अनुपयोगिता को धैर्यपूर्वक उन्हें समझाएं। उन्हें सुरक्षित एवं असुरक्षित स्पर्श के संबंध में बताइए। उन्हें भरोसा दिलाएं कि आप हमेशा उनके साथ हैं, ताकि वे बगैर किसी संकोच के हर घटना आपके साथ शेयर कर सकें।
आपका यह हौसला निश्चय ही उन्हें यौन शोषण से संरक्षित करने में सहायक होगा। किशोर-किशोरियों को खुद को व्यक्त करने के लिए समय दें। अगर वे अपने डर व चिंताओं के विषय में बात करना चाहते हंै, तो उनकी बातों को ध्यान देकर सुनें। बच्चों को समय प्रबंधन जरूर सिखाएं।

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