शिवपुरी। शासन ने सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को लॉक डाउन की स्थिती में खाद्य सुरक्षा भत्ता मुहैया कराने के लिए शासन ने प्रत्येक बच्चे के लिए गेहूं व चावल भिजवाया है, परंतु शिवपुरी में यह गेहूं व चावल चुनिंदा बच्चों को छोड़ कर किसी को नहीं बांटा गया है।
यह पूरा गेहूं व चावल समूह संचालकों को दिया गया है, परंतु विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर समूह बच्चों के लिए आए उक्त खाद्यान को डकार गए।
जानकारी अनुसार जिला पंचायत शिवपुरी से एक मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम जारी किया गया था, जिसके तहत मार्च-अप्रैल 2020 के शैक्षणिक कार्य दिवसों में छात्रों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधान अनुसार मार्च के 11 दिनों और अप्रैल के 22 दिनों का खाद्यान स्कूल में दर्ज शत-प्रतिशत बच्चों को दिया जाना था।
आदेश के अनुसार प्राथमिक शाला में दर्ज प्रत्येक बच्चे को 3 किलो 300 ग्राम तथा माध्यमिक शाला में दर्ज प्रत्येक बच्चे को 4 किलो 950 ग्राम खाद्यान वितरण किया जाना था। 15 अप्रैल बीत जाने तक यह खाद्यान बच्चों को उपलब्ध नहीं कराया गया।
जब इस बात की सूचना पत्रिका को मिली तो पत्रिका ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर बच्चों और उनके परिवार वालों से बात की तो पता चला कि उन्हें न तो कोई खाद्यान उपलब्ध कराया गया है और न ही स्कूल वालों ने ऐसा कोई खाद्यान दिए जाने के संबंध में किसी बच्चे को कोई सूचना दी है।
इस संबंध में जब अधिकारियों से बात की गई तो अधिकारियों का कहना है कि बच्चों को मार्च माह का गेहूं तो बंट गया है अप्रैल माह का गेहूं भी बंटना शुरू हो गया है। विचारणीय पहलू यह है कि २२ अप्रैल में महज सात दिन शेष बचे हैं, परंतु अभी तक बच्चों को खाद्यान नहीं दिया गया है तो फिर कब देंगे?
हमारे खातों में भी नहीं आया कोई पैसा
इस खाद्यान के अलावा प्रत्येक बच्चे के खाते में नकद राशि भी डालनी है। प्रायमरी के बच्चों के खाते में 148 रुपए के मान से तथा मिडिल स्कूल के बच्चों के खाते में 221 रुपए के मान से राशि डाली जानी है। अधिकारियों के अनुसार वह खातों में राशि डाल चुके हैं, परंतु बच्चों और अभिभावकों का कहना है कि उनके खाते में ऐसी कोई राशि अभी तक नहीं आई है।
कहां क्या मिले हालात
बड़ौदी क्षेत्र में रहने वाली मुस्कान यादव का कहना था कि मिडिल स्कूल के बच्चों को तो आज सुबह ही गेहूं व चावल दिया है। प्रायमरी स्कूल के बच्चों को नहीं दिया गया है। यही बात बड़ौदी निवासी रीना ने भी बताई।
शाप्रामावि फतेहपुर स्कूल में पढऩे वाले कक्षा 3 के छात्र इरफान व कक्षा 6 के छात्र समीर खान ने बताया कि उन्हें किसी भी प्रकार का कोई गेहूं व चावल नहीं मिला है।
शाप्रावि मनीयर में रहने वाली कनक आदिवासी, झलक आदिवासी, का कहना है कि उन्हें किसी भी प्रकार का गेहूं चावल नहीं मिला है।
शमावि पुलिस लाइन में पढऩे वाली कक्षा 6 की छात्रा नंदनी, आरती आदिवासी, कक्षा 8 की छात्रा पलक आदिवासी का भी कहना है कि उन्हें किसी भी प्रकार को कोई खाद्यान स्कूल से नहीं मिला है।
शाप्रावि मजरा मगरौरा में पढऩे वाले कक्षा 5 के छात्र छोटू व तबीम का कहना है कि हमें किसी भी प्रकार का कोई गेंहू नहीं दिया है। सुधा नाम की महिला का भी कहना था कि उनकी बेटी इसी स्कूल में पढ़ती है, उन्हें किसी भी प्रकार का कोई खाद्यान नहीं दिया गया है।
ये बोले जिम्मेदार
इस बार अप्रैल के गेहूं का उठाव देरी से हुआ था, परंतु गेहूं बंटना शुरू हो गया है। यह गेहूं प्रत्येक बच्चे के घर जाकर दिया जा रहा है ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके। आप जो बता रहे हैं कि बच्चों को गेहूं नहीं मिला है तो मैं इस संबंध में विभाग के अधिकारियों को फोन लगाकर पता करता हूं कि गेहूं का वितरण आखिर अब तक शुरू क्यों नहीं हो पाया है।
एचपी वर्मा, जिपं सीईओ
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