नगर में संचालित एसबीआई बैंक शाखा में कई गांव के लोगों के खाते हैं। वर्तमान में बैंक में स्टाफ की कमी होने के कारण ग्राहकों को पैसा निकालने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। दरअसल कारण बैंक में पूर्व में दो काउंटर से पैसा निकाला जाता था। वर्तमान में स्टाफ की कमी होने के कारण एक काउंटर चल रहा है। इस वजह से ग्राहकों को पैसा निकालने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भीषण गर्मी पड़ रही है और ग्राहक पैसे के इंतजार में बाहर नंबर लगाए रहते हैं। शाम को जब पता चलता है कि उनका नंबर नहीं आया तो उन्हें निराश होकर घर वापस लौटना पड़ता है।
बैंक में आने वाले ग्राहकों को टोकन दिए जाते हैं। टोकन की स्थिति यह है कि बैंक में काम करने वाले कर्मचारी 10 या 12 से ज्यादा टोकन का काम ही खत्म नहीं कर पाते। बैंक के बाहर खड़े लगभग आधा सैकड़ा लोगों को वापस जाना पड़ता है। इनका कहना है कि दूसरे दिन आने पर भी हमारा नंबर नहीं आता जिससे बैंक के ग्राहकों में काफी आक्रोश है।
बैंक में आने वाले ग्राहकों को टोकन दिए जाते हैं। टोकन की स्थिति यह है कि बैंक में काम करने वाले कर्मचारी 10 या 12 से ज्यादा टोकन का काम ही खत्म नहीं कर पाते। बैंक के बाहर खड़े लगभग आधा सैकड़ा लोगों को वापस जाना पड़ता है। इनका कहना है कि दूसरे दिन आने पर भी हमारा नंबर नहीं आता जिससे बैंक के ग्राहकों में काफी आक्रोश है।
मजदूरी से होना पड़ रहा वंचित
बैंक में किसान क्रेडिट योजना का भुगतान, सरकारी कर्मचारियों का वेतन भी भारतीय स्टेट बैंक से मिलता है। कर्मचारी अधिकारी एवं पेंशनधारी, विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन एवं प्रधानमंत्री द्वारा जो सहायता राशि खाते में डाली जा रही है जिससे बैंकों में काफी भीड़ आ रही है। नागरिक जो 20 से 25 किलोमीटर दूर गांव से आते हैं उनमें काफी आक्रोश है। इन्हें न तो पैसा मिलता है उल्टा यहां आने पर किराया जेब से लग जाता है। दिनभर की मजदूरी भी नहीं कर पाते हैं। 500 रुपये के लिए इन लोगों का 100 रुपया खर्च हो जाता है। इसके बाद भी बैंक से पैसा नहीं निकाल पाते है।
बैंक में किसान क्रेडिट योजना का भुगतान, सरकारी कर्मचारियों का वेतन भी भारतीय स्टेट बैंक से मिलता है। कर्मचारी अधिकारी एवं पेंशनधारी, विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन एवं प्रधानमंत्री द्वारा जो सहायता राशि खाते में डाली जा रही है जिससे बैंकों में काफी भीड़ आ रही है। नागरिक जो 20 से 25 किलोमीटर दूर गांव से आते हैं उनमें काफी आक्रोश है। इन्हें न तो पैसा मिलता है उल्टा यहां आने पर किराया जेब से लग जाता है। दिनभर की मजदूरी भी नहीं कर पाते हैं। 500 रुपये के लिए इन लोगों का 100 रुपया खर्च हो जाता है। इसके बाद भी बैंक से पैसा नहीं निकाल पाते है।
इन गांवों के लोगों के हैं खाते
स्टेट बैंक शाखा में पिछोर, सहोना, बाबूपुर, कैथोड़ ,जंगीपुर, छपरा, अजयगढ़ सिली सिलैटा, गिजोर्रा, छत्तरपुर, पुटटी, भर्रोली, निवी, लखनौती, भगेह, जनकपुर, दही, धवा, बडेरा, गढ़ी, चक घोगा आदि गांव के लोगों के खाते हैं। इसके अलावा विभिन्न योजनाओं का ग्रामीणों का पैसा भी इसी शाखा में आता है।
स्टेट बैंक शाखा में पिछोर, सहोना, बाबूपुर, कैथोड़ ,जंगीपुर, छपरा, अजयगढ़ सिली सिलैटा, गिजोर्रा, छत्तरपुर, पुटटी, भर्रोली, निवी, लखनौती, भगेह, जनकपुर, दही, धवा, बडेरा, गढ़ी, चक घोगा आदि गांव के लोगों के खाते हैं। इसके अलावा विभिन्न योजनाओं का ग्रामीणों का पैसा भी इसी शाखा में आता है।
ये कहते हैं ग्राहक
मैं विकलांग हूं 15 किलोमीटर दूर से आ रही हूं। बैंक में काफी भीड़ है। सुबह से आ रहे हैं शाम तक रुकते हैं फिर भी पैसा नहीं मिल रहा है। गार्ड का कहना है कि कल आना नंबर कल आएगा कोई सुनने वाला नहीं है।
फूलवती कुशवाह, ग्राम बिर्राट
मैं विकलांग हूं 15 किलोमीटर दूर से आ रही हूं। बैंक में काफी भीड़ है। सुबह से आ रहे हैं शाम तक रुकते हैं फिर भी पैसा नहीं मिल रहा है। गार्ड का कहना है कि कल आना नंबर कल आएगा कोई सुनने वाला नहीं है।
फूलवती कुशवाह, ग्राम बिर्राट
मैं 2 दिन से परेशान हो रही हूं। स्व: सहायता समूह चलाती हूं जिसमें महिलाओं का बैंक में पैसा आ गया है। इन्हें पैसा निकाल कर देना है। 2 दिन से चक्कर लगा रही हूं मेरा पैसा नहीं निकल रहा। रोजाना आश्वासन दिया जाता है कल आ जाना। मैं 25 किलोमीटर दूर से आती हूं।
ऊषा जाट, ग्राम लखनौती
ऊषा जाट, ग्राम लखनौती
हमने आला अधिकारियों को बता दिया है कि हमारे पास स्टाफ की काफी कमी है। फिर भी जनता में आक्रोश पैदा न हो इसके लिए हमने टोकन व्यवस्था की है। जो लोग एक दिन इंतजार करके लौट जाते है उनका दूसरे दिन नंबर लगाया जाता है। उन्हें पहले पैसा दिया जाता है। जैसे ही स्टाफ बढ़ जाएगा वैसे ही दूसर काउंटर चालू कर दिया जाएगा।
धर्मेन्द्र कब्जे, बैंक शाखा प्रबंधक
धर्मेन्द्र कब्जे, बैंक शाखा प्रबंधक
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