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लाखों खर्च करने के बाद भी चूहों से परेशान है मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल


 इंदौर । यूनिक अस्पताल में वृद्ध के शव को चूहों द्वारा कुतरने के बाद अस्पतालों में शव रखने की व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एमवायएच भी इस समस्या से अछूता नहीं है। अस्पताल में चूहों को नियंत्रित करने के लिए दो बार अभियान चलाए जा चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

दो अभियान भी नहीं दिला सके चूहों से मुक्ति

एमवायएच में चूहों से मुक्ति का पहला अभियान 1994 में तत्कालीन कलेक्टर सुधीरंजन मोहंती की अगुआई में चला था। उस वक्त इस काम पर करीब 12 लाख रुपये खर्च किए गए थे। इसके लिए एमवायएच को 10 दिन के लिए पूरा खाली करवा लिया गया था। अभियान के बाद कुछ दिनों तक तो अस्पताल में चूहे नियंत्रित रहे, लेकिन समस्या फिर जस की तस हो गई। इसके बाद 2014 में एक बार फिर चूहों के खिलाफ अभियान चला। इस बार पेस्ट कंट्रोल करने वाली एक निजी कंपनी को करीब 50 लाख रुपये में अस्पताल के चूहे मारने का ठेका दिया गया। यह प्रयास भी असफल रहा।

निजी कंपनी के पास है जिम्मेदारी

जनवरी 2018 से एमवायएच की सफाई, सुरक्षा की जिम्मेदारी निजी कंपनी के हाथों में है। इस कंपनी के पास ही चूहे, कॉकरोच, दीमक, खटमल से छुटकारा दिलाने की जिम्मेदारी है। नियमानुसार कंपनी को हर माह अस्पताल में पेस्ट कंट्रोल करना होता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। हालत यह है कि एमवायएच में चूहे इतने शक्तिशाली हैं कि सफाई के उपकरणों तक को नुकसान पहुंचा देते हैं। चूहे सिर्फ शव को ही नहीं बल्कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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