भोपाल मध्य प्रदेश की राजनीति का परिदृश्य अब बदल गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ गए विधायकों के कारण प्रदेश में उपचुनाव होने और अब परिणाम आने से पहले भाजपा और कांग्रेस की चिंता इस बात को लेकर है कि जितने विधायक उनके पास हैं, वे सुरक्षित रहें। अपने-अपने विधायकों को संभालकर रखना दोनों दलों के लिए चिंता का सबब है। एक्जिट पोल के नतीजों से पहले ही दोनों दल इसमें मुस्तैदी से जुटे थे। एक्जिट पोल के बाद विधायकों के लिए निगरानी तंत्र और अधिक सक्रिय कर दिया गया है।
उपचुनाव के नतीजे सत्ता का समीकरण तय करने वाले हैं। कुछ महीनों में मध्य प्रदेश के राजनीतिक हालात में आए परिवर्तन से अविश्वास बढ़ा है। माना जा रहा है कि किसी दल को स्पष्ट बहुमत मिल गया तो सबकुछ ठीक होने का अनुमान है, लेकिन यदि सीटों के मिलने में कुछ कमी रह गई तो आशंका है कि विधायकों के पाला बदलने का खेल शुरू हो जाएगा।
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