दगाह हिल्स के साथ नगर निगम सीमा क्षेत्र में सरकारी जमीन पर काबिज सभी लोगों को धारण अधिकार के तहत जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। इसमें कमर्शियल प्रॉपर्टी भी शामिल है। खेती की जमीन और खाली पड़े प्लॉटों को धारण अधिकार से अलग रखा गया है। ऐसे में कब्जाधारियों को अतिक्रमणकारी ही माना जाएगा। वहीं ईदगाह हिल्स पर 150 एकड़ जमीन पर 288 खाली प्लॉट मिले हैं, उनका मालिकाना हक नहीं मिलेगा।
राजधानी में सरकारी जमीन पर बने मकानों की संख्या 50 हजार आंकी जा रही है। शुक्रवार को शाहपुरा क्षेत्र के अर्बन सीलिंग वाले मामले में 121 लोगों ने आवेदन पेश किए हैं। शुक्रवार को भी लोक सेवा केंद्र में आवेदन अपलोड नहीं हो पाए। मामले में कलेक्टर अविनाश लवानिया का कहना है कि सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
ये कर सकेंगे आवेदन
जिन्होंने अर्बन सीलिंग और सरकारी जमीन पर मकान या दुकान बना ली है और उनके पास मालिकाना हक के कागज नहीं हैं। इनके कब्जे का रिकाॅर्ड 1989 से 31 दिसंबर 2014 तक होना चाहिए। इसके लिए 2014 के गूगल मैप से मिलान किया जाएगा। सरकार इनसे वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन से प्रीमियम और लीज रेंट लेकर मालिकाना हक देगी। इसके बाद ये लोग भी लोन और प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त कर सकेंगे।
खाली जमीन का नहीं दिया जाएगा मालिकाना हक
धारण अधिकार के तहत खाली जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जाएगा। इसमें मकान, दुकान सहित अन्य व्यवसायिक गतिविधियां शामिल हैं। इसके लिए 150 वर्गमीटर पर वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन का 5% और 200 वर्गफीट पर 10% तक प्रीमियम देना पड़ेगा। जबकि व्यवसायिक गतिविधियों के मामले में 100% तक प्रीमियम वसूल किया जाएगा।
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