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*दिव्यांग होकर लोगों के लिये प्रेरणा बने डाॅ.शिवनारायण देवांगन "आस"*

 


जांजगीर-चांपा-शरीर से स्वस्थ व्यक्ति को कामचोरी और जी चुराते अक्सर दिख जायेगा  पर दिव्यांग होकर ऐसा कार्य कर जाये जिसे आम आदमी न करे पाये तो सबके  लिये प्रेरणा बन जाता है।विश्व दिव्यांग दिवस पर  हम एक ऐसे ही सक्स से मिले जिसका  हौसला देखकर दंग रह जायें। 

शास.उच्च.माध्यमिक शाला अंजोरा (ख)दुर्ग के व्याख्याता जीवविज्ञान के पद पर पदस्थ डाॅ.शिवनारायण देवांगन "आस" को देख पहले बार में यकीन नहीं कर पाये कि साधारण सा दिखने व वाकर व व्हील चेयर लेकर चलने वाला ये शिक्षक भला क्या कुछ कर पाता होगा।कोरोना होने पर भी अपने व्हील पावर के कारण 15 दिन आई.सी.यू. मे रहकर मौत से लड़कर वापस आया पर पोस्ट कोविड के कारण आज भी चल पाने मे तकलीफ होने के कारण व्हील चेयर  से अपना कार्य कर रहे है पर अपनी हिम्मत कम होने नही दिया।जब हमने  मिले  तो बहुत कुछ जानने मिला कि उच्च योग्यता(एम.एस.सी.वनस्पति विज्ञान,  बी.एड.आयुर्वेद रत्न, पत्रकारिता, विद्या-वाचस्पति, मानद पी.एच.डी., साहित्य-रत्न, आचार्य आदि)  हासिल कर बहुआयामी कार्य को आज अंजाम दे रहा है  चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो , साहित्य, सांस्कृतिक ,खेल समाज सेवा या अन्य क्षेत्र सभी में पारंगत हैं।शिवनारायण देवांगन "आस" दिव्यांगता को अपनी कमजोरी कभी नही बनने दिया बल्कि लोगों के लिये सबक बन गया है स्कूल समय से पहले जाना और समय के बाद निकलना उसके आदत में शुमार है शिक्षण के साथ शाला के सभी कार्य करने में महारत हासिल है सभी गतिविधियों में सक्रिय रूप से जुड़े रहना और समय समय पर कार्यक्रम आयोजित करना उनका शौक बन गया है ।   

 


         वर्तमान में शिक्षक व छात्र के सर्वागीण विकास के लिए कार्य करने की बहुआयामी संस्था का गठन किया  शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ जिसका संस्थापक व संयोजक के रूप में 20 जिला का विस्तार कर चुका है कोरोना काल में जुलाई 2020 से अब दो सौ से ज्यादा कार्यक्रम अनलाइन करा मिसाल बना चुका है नित नये कार्यक्रम से शिक्षा जगत में काफी उत्साह का माहौल है जिसका पूरा श्रेय शिवनारायण देवांगन पर जाता है।दुर्ग जिला दिव्यांग संघ के संरक्षक के रूप में दिव्यांगों के लिए  संघर्ष कर रहे हैं वही समय समय पर कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।वही साहित्य क्षेत्र में अपने संपादन व संकलन में अब तक 16 राष्ट्रीय साहित्य संकलन, 4 सामाजिक पत्रिका, 6 कवियों का काव्य संग्रह,  एक नाटक संग्रह, नारी विशेषांक- अबला नहीं नारी , पाहंदा की इतिहास "प्रेरणा" व स्वयं की कृति "वक्त ये कहता है" अब तक प्रकाशित हो चुका है।कई सम्मान अब तक  प्राप्त हो चुका है।वहीं समाज सेवा के क्षेत्र में अब तक  सैकड़ों कार्यक्रम का आयोजन कर चुके हैं।जिसमें बालिका प्रोत्साहन,शहीदों के लिये कार्यक्रम,दिव्यांग के सहायतार्थ,बालिका शिक्षा, महिला को निरंतर प्रोत्साहन व सम्मान, शिक्षक व विद्यार्थी के लिये निरंतर कार्य,  पेटिंग, निबंध, सामान्य ज्ञान, रंगोली, मेहदी, नृत्य, गायन जैसे सभी कार्यक्रम अब तक करा चुके हैं ।शासन से सम्मान के विषय पर यही जबाब दिया सम्मान के लिए कभी कार्य नहीं किया यदि किसी संस्था ,अधिकारी या शासन को लगे कि कुछ कर रहा हूँ तो स्वयं ही सम्मान के लिए चयन कर सम्मानित करे तो उसमें जो खुशी और आर्शीवाद  मिलेगा न कि स्वंय को सम्मान के लिए प्रस्तुत करने में मिल पायेगा इसलिए मैं अपना आवेदन जमा नहीं करता।वर्तमान मे संस्थापक व संयोजक -शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़, संयोजक- बहुआयामी संस्था प्रेरणा, संरक्षक-दुर्ग जिला दिव्यांग संघ, प्रातांध्यक्ष-शिक्षक साहित्यकार मंच,महासचिव-दुर्ग जिला  शिक्षक महासंघ, संस्थापक-शिखर साहित्य समिति, महासचिव- छ.ग. शिक्षक कल्याण मंच व  संपादक- महिमा प्रकाशन दुर्ग सहित बहुत से संस्था के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं ।

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