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शिवपुरी : सिंधिया आगमन पर बीजेपी कार्यकर्ता और सिंधिया समर्थकों में गुटबाजी कि आमजन में चर्चा

 गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से 2019 के लोकसभा चुनाव मेें 4 बार इस इलाके से सांसद रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार अप्रत्याशित थी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। सिंधिया को संसदीय क्षेत्र में 1 लाख 25 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा। वह भी उस स्थिति में जबकि इलाके के विकास में और संसदीय क्षेत्र में सक्रियता के मामले में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था। सिंधिया की हार के मूल में उनके समर्थकों की भूमिका मुख्य रही थी। जिन्होंने अपने नेता को आमजनता से दूर कर दिया था। यहीं कारण था कि कांगे्रस में उनके समर्थकों को पार्टी का नहीं बल्कि सिंधिया समर्थक कहा जाता था। उस हार के बाद भी सिंधिया समर्थकों ने सबक नहीं लिया है और भाजपा की मुख्य धारा में वह शामिल नहीं हो पाए हैं तथा अपनी ढपली-अपना राग अलाप रहे हैं। सिंधिया के स्वागत में शिवपुरी को बैनरों, पोस्टरों और होडिंग से पाट दिया गया है। लेकिन उनके मुट्टीभर समर्थक न तो भाजपा के आम कार्यकर्ता और न ही आमजन को सिंधिया से जोड़ पाने में सफल रहे हैं। वह सिर्फ अपने-अपने हित साधने में लगे हुए हैं। 

केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री बनने के बाद पहली बार शिवपुरी आ रहे हैं। भाजपा में आने के बाद पार्टी संगठन ने उन्हें भरपूर तबज्जो दी। उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया और मोदी केबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्रालय जैसा प्रमुख विभाग दिया गया। शिवपुरी जिले में उनके समर्थकों को भी भाजपा संगठन में भरपूर महत्व मिला। उनके एक समर्थक को भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष और लगभग आधा दर्जन समर्थकों को भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बनाया गया। प्रदेश सरकार में प्रधुम्र सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसौदिया, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभूराम चौधरी, राजवर्धन सिंह दत्ती गांवकर, तुलसी सिलावट आदि को प्रदेश मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग दिए गए। श्री सिंधिया ने भाजपा में आने के बाद पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से संबंध बना लिया। संघ से भी उनकी नजदीकियां काफी बढ़ गईं और उन्होंने अपना पूरा अस्तित्व भाजपामय बना लिया। सिंधिया से बढ़ते मतभेद के कारण कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी को कांग्रेस छोडऩी पड़ी थी। लेकिन सिंधिया ने भाजपा में आने के बाद उनसे भी अपने संबंध अच्छे बना लिए। सांसद केपी यादव जिनके हाथों सिंधिया को पराजय का सामना करना पड़ा, उनसे भी सिंधिया ने तालमेल बना लिया। सिंधिया को भाजपा में आए डेढ़ वर्ष ही हुआ है। लेकिन वह पार्टी की रीति-नीतियों और सिद्धांतों में पूरी तरह परिचित हो चुके हैं। लेकिन शिवपुरी में उनके समर्थकों ने सबक नहीं लिया है। सिंधिया ने पोहरी विधायक सुरेश राठखेड़ा को प्रदेश सरकार में लोकनिर्माण राज्यमंत्री बनवाया। लेकिन वह भाजपा को दिल से स्वीकार नहीं कर पाए हैंं। सिंधिया के शिवपुरी आगमन पर 4 दिसंबर को भव्य शोभायात्रा का कार्यक्रम बनाया गया। यह मौका ऐसा था। जिसमें वह चाहते तो आमजन और भाजपा कार्यकर्ताओं को जोड़ सकते थ्ेा। लेकिन मु_ीभर सिंधिया समर्थक ही इस अभियान से जुडे रहे। नगर में जो बैनर, पोस्टर और होडिंग सिंधिया के स्वागत के लगे हैं, उनमें भाजपा के किसी भी मूल कार्यकर्ता को स्थान नहीं मिला है और न ही भाजपा के किसी कार्यकर्ता ने स्वागत में कोई बैनर लगाया है। इस तरह से सिंधिया समर्थकों ने स्थानीय स्तर पर सिंधिया के आगमन पर गुटबाजी क िहवा दी है। जिसका नुकसान अंतत: सिंधिया को उठाना पड़ेगा।

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