ग्वालियर के JAH (जयारोग्य अस्पताल) में ऑक्सीजन सिलेंडर का बड़ा घोटाला पकड़ में आया है। कोविड की पहली लहर और दूसरी लहर के बीच धीरे-धीरे ऑक्सीजन सिलेंडर गायब होना शुरू हुए थे। अब जब संभावित तीसरी लहर सिर पर है तो ऑक्सीजन सिलेंडर का घोटाला पकड़ में आया है। 600 कुल ऑक्सीजन सिलेंडर में से 370 सिलेंडर चोरी हो चुके हैं। यह सिलेंडर कैसे गायब हुए और किसने इन पर हाथ साफ किया यह फिलहाल पता नहीं चल सका है, लेकिन सबसे ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर JAH के सुपर स्पेिशयलिटी हॉस्पिटल से गायब हुए हैं। कोविड के सारे और गंभीर पेशेंट यहीं भर्ती किए जाते थे। अब जाकर JAH प्रबंधन को इस मामले में सुध आई है। जिस पर कंपू थाने में लिखित शिकायत की गई है। शुक्रवार को कंपू थाने में इस मामले में FIR दर्ज की गई है। अब सवाल यह उठता है कि JAH में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। साथ ही पहली और दूसरी लहर में जयारोग्य अस्पताल पुलिस छावनी बना हुआ था। ऐसे में सिलेंडर कैसे चोरी हो गए।
- ग्वालियर में JAH (जयारोग्य अस्पताल) से दान में मिले 370 ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी हो गए हैं। हालांकि मामला यह कुछ पुराना है। कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में सबसे ज्यादा किल्लत ऑक्सीजन की हुई थी। ऑक्सीजन के लिए हर जगह हाहाकार मचा था। इस समय कई संस्थाओं और लोगों ने JAH में ऑक्सीजन सिलेंडर दान दिए थे। पर उन ऑक्सीजन सिलेंडर की निगरानी नहीं रखी गई। ज्यादातर ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग JAH के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में किया गया था। पर धीरे-धीरे यहां से सिलेंडर गायब होना शुरू हो गए। पहली बार यह मामला कोविड के पहली लहर के बाद पकड़ में आया था। कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर मीसिंग थे। पर उस समय उसे नजर अंदाज किया गया, लेकिन दूसरी लहर के बाद जब ऑक्सीजन सिलेंडर पर नजर डाली गई तो 200 सिलेंडर मिसिंग पाए गए। इस पर भर भी कोई जहां नहीं की गई । अभी हाल ही में जांच में 600 सिलेंडर में से 370 ऑक्सीजन सिलेंडर मिसिंग पाए गए हैं। इसके बाद JAH के नोडल ऑफिसर ऑक्सीजन डॉ. आशीष माथुर ने मामले की लिखित शिकायत कंपू थाना में की गई थी। जिस पर कंपू थाना पुलिस ने जांच के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी का मामला दर्ज किया है।
आखिर कैसे चोरी हो गए सिलेंडर
- JAH में ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी होना बड़ी बात है। क्योंकि इससे JAH प्रबंधन पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। CCTV कैमरे से लेकर सिक्युरिटी तक सब प्रबंधन के हाथ में हैं। जिस समय ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी होने की बात की जा रही है उस समय तो JAH में पुलिस छावनी बनी हुई थी। ऐसे में कोई इतनी संख्या में कैसे ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी कर सकता है। इसलिए ऑक्सीजन सिलेंडर गायब होने के पीछे घोटाले की भी आशंका जताई जा रही है। जो पुलिस की जांच में सामने आ सकता है।
ऑक्सीजन सप्लायर नहीं दे सके संतोष जनक जवाब
- JAH के ऑक्सीजन के नोडल ऑफिसर डॉ. आशीष माथुर ने बताया कि चार सप्लायर थे स्क्रब सेवा कम्प्रेस्ड एयर प्रोडक्ट, अन्नपूर्णना, शिवम व आरआर इंटरप्राइजेज थे। ऑक्सीजन सिलेंडर इनके ही बीच रहते थे। लाना ले जाना इनके हाथ में रहता था। सभी को बुलाकर पूछताछ की गई है, लेकिन उनमें से किसी से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। जिसके बाद मामले की शिकायत कंपू थाना में की गई है। एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत 12 हजार रुपए थी। कोविड के समय में यह काफी महंगे भी मिले थे।
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