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मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अब भी सजग नहीं हमारा समाज- सिविल सर्जन डॉ.चौधरी

braj rawat 
 बच्‍चों को अपनी तथा पारिवारिक समस्याओं पर अभिभावकों से खुलकर परंतु पूरी शालीनता से बात करना चाहिए। परिवार का वातावरण यदि स्वस्थ्य नहीं है तो इसका बच्‍चों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह बात मानसिक स्वास्थ सेमिनार में मुख्य वक्ता 
जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ.आर.के.चौधरी ने आशा एवं एएनएम को सम्बोधित करते हुए कही।
सिविल सर्जन डॉ.चौधरी मानसिक स्वास्थ्य पर जिला स्वास्थ समिति एवं शक्तिशाली महिला संगठन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित जिला स्तरीय सेमिनार में बोल रहे थे। प्रोग्राम में डॉ.अर्पित बंसल मनो चिकित्सक ने कहा कि मन कच्छ बच्‍चों को अपनी तथा पारिवारिक समस्याओं पर अभिभावकों से खुलकर परंतु पूरी शालीनता से बात करना चाहिए। परिवार का वातावरण यदि स्वस्थ्य नहीं है तो इसका बच्‍चों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।  
प्रथम सत्र में रवि गोयल ने कहा कि हम और हमारा समाज शारीरिक स्वास्थ्य का तो बहुत ध्यान रखता है, पर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आज भी पर्याप्‍त सजग नहीं है। मानसिक बीमारी को भी शारीरिक बीमारी की तरह इलाज की जरूरत होती है। कोविड के पश्चात लोगों और खासकर बच्‍चों में मानसिक परेशानियां बढ़ी हैं। बड़े लोगों के मेंटल हेल्थ पर बातें होती हैं, परंतु बच्‍चों और किशोर वर्ग को नजरअंदाज किया जाता है। घरों में खुलापन होना बहुत जरूरी है, जिससे बच्‍चे अपनी समस्याओं की बात बेझिझक कह सकें। 
सुनील जैन ने कहा जब हम किसी व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य की बात करते हैं तो लोग समझते हैं कि यह उसकी कमजोरी है या उस इंसान की इच्‍छाशक्‍ति कम है या उसमें सकारात्मकता की कमी है। प्रोग्राम में शिवपुरी शहर की आशा कार्यकर्ता, एएनएम के साथ शक्तिशाली महिला संगठन की पूरी टीम, मन कक्ष का स्टाफ ने सक्रिय भूमिका निभाई।

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