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Anticorruption News : आदिवासीयों की जमीन को दबंगों से कराया मुक्त , प्रशासन की जय जय कार की ग्रामीणों ने , वर्तमान में हो रहे दबंगों के कब्जे को लंबे समय बाद छुड़ाएगा प्रशासन ऐसे अनुमान लगाया जा सकता है

सुभाषपुरा क्षेत्र में आदिवासियों की 158 बीघा कृषि भूमि करवाई अतिक्रमण मुक्त 


एक प्रशासन का प्रेस नोट मिला जो खबर इस प्रकार थी कि 

शिवपुरी जिले  में 23 अक्टूबर 2024/ कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी के  निर्देशानुसार सुभाषपुरा क्षेत्र में सहरिया आदिवासियों की 158 बीघा कृषि भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है।

 शिवपुरी एसडीएम उमेश कौरव ने बताया कि नायब तहसीलदार सुभाषपुरा अनिल धाकड़ के नेतृत्व में राजस्व विभाग के अमले ने सुभाषपुरा क्षेत्र में आदिवासियों की 158 बीघा कृषि भूमि पर लंबे समय से किए गए अतिक्रमण को हटवाया गया। 

यह अतिक्रमण लंबे समय से हमीरा बंजारा, पप्पू भदोरिया एवं अन्य व्यक्तियों ने किया था जिन्हें मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता संशोधित 2018 की धारा 250 के तहत बेदखल किया गया था जिसे राजस्व विभाग ने गतदिवस को मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण से मुक्त करवाया एवं भू स्वामियों को उनकी कृषि भूमि का कब्जा सोपा गया है जिससे ग्रामीणों में बहुत खुशी हुई और प्रशासन की बाह बाई मिली

 मौके पर हरि पुत्र प्रभु आदिवासी एवं वती उर्फ रामवती पत्नी हरप्रसाद आदिवासी की 20.98 हे. भूमि, महेश पुत्र मलखान आदिवासी की 1.30 हे., सुमित्रा पत्नी महेश आदिवासी की 3.6 हे., रघुवीर पुत्र करन आदिवासी की 2.50 हे., यशपाल पुत्र महाराजसिंघ आदिवासी की 0.70 हे., जूली पत्नी मांगीलाल आदिवासी की 2.50 हैक्टेयर है। इस प्रकार कुल 31.58 हेक्टेयर कृषि भूमि को मुक्त कराया गया। कृषि भूमि अतिक्रमण मुक्त होने पर ग्रामीणों ने पूरी टीम को धन्यवाद दिया है।

आखिर आदिवासीयों की जमीन पर कैसे किया कब्जा, किस की सारण थी दबंगों पर, ?

चिंता मंथन विषय > आखिर लापवाही किस की ?

 आखिर जिम्मेदारों पर कार्यवाही क्यों नहीं  ?

कब्जा करवाना फिर छुड़वाना कब तक ऐ खेल चलता रहेगा शासन प्रशासन का ?

 ख़ुद की पीठ खुद ही थपथपाना ?

जानता सब जानती है साहब  >

लम्बे समय से आदिवासीयों की जमीन पर लंबे समय से दबंगों ने कब्जा कर लिया और प्रशासन को भनक तक नहीं ऐ कैसे संभव है  ?

 > क्या पटवारी कभी कृषि भूमि जमीन की फसलों का सर्वे नहीं करते ?

       क्यों की शासन नियमावली अनुसार रबी और खरीब की फसलों का सर्वे कर खसरा में  चाड़ाया जाता है जो कि पटवारी जी मौके पर पहुंच कर करता है, तो  फिर इस की जानकारी पटवारी को क्यों नहीं थी ,और पटवारी को जानकारी थी तो फिर लिखित में आला अधिकारी को क्यों नहीं दी ?
मानो अधिकारियो को जानकारी दी तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं  ?

2 > पंचायत में हर माह ग्राम पंचायत (ग्राम समिति ) की बैठक होती है जिसमें पंचायत के सभी सदस्य वा सरंपच अपनी बात रखते है, और पंचायत में सचिव उस पर अपनी टीप लगाकर शासन को पर प्रस्तावित करता है  और आला अधिकारी उस को संज्ञान में लेकर कार्य करते है ऐसे में 158 बीघा कृषि भूमि
पर दबंगों ने कब्जा कर लिया शासन को जानकारी नहीं  ?

3 > लगभग प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एक चौकी दार भी होता है जो पंचायत के अंदर दंगाई गुंडे अवैध तरीके के कर रहे कार्यों की जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचता है 
ऐसे में 158 बीघा कृषि भूमि पर दबंगों ने कब्जा कर लिया और प्रशासन को जानकारी तक नहीं पहुंची संभव है ?

वर्तमान में शासकीय जमीन पर सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा होता चला जा रहा है आखिर पर प्रशासन मौन क्यों ?


मध्य प्रदेश शासन बहुत अच्छा कार्य कर रही है दबंग से कब्जा छुड़ाया जा रहा है ,

 सच्चाई >

फिर भी दबंग का कब्जा बढ़ता जा रहा है 
इस तरह के कई खबरें प्रकाशित होती है  
परन्तु प्रशासन नीचे को नजर कर चुप्पी साध लेता है आखिर कारण क्या है 



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