शिवपुरी जिले में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। जिला अस्पताल में इन दिनों उपचार के लिए लाए जा रहे कई बच्चे कुपोषण से भी ग्रसित पाए जा रहे हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन द्वारा उन्हें गंभीरता से लेते हुए पीआईसीयू और चिल्ड्रन वार्ड में विशेष उपचार दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग की सक्रियता पर सवाल -
सरकार द्वारा कुपोषण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग को संयुक्त रूप से जिम्मेदारी सौंपी गई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें नजदीकी एनआरसी में भर्ती कराने के निर्देश हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
सुभाषपुरा क्षेत्र के एक युवक ने बताया कि उसकी ढाई वर्षीय बेटी को उल्टी-दस्त की शिकायत पर जिला अस्पताल लाया गया, जहां जांच में कुपोषण की पुष्टि हुई। युवक का कहना है कि गांव में न तो कोई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहुंची और न ही किसी स्वास्थ्य टीम ने बच्ची की स्थिति पर ध्यान दिया।
अस्पताल में 15 बच्चे कुपोषित, केवल 5 एनआरसी में भर्ती
इस समय जिला अस्पताल में 15 कुपोषित बच्चे उपचाररत हैं। इनमें से 5 बच्चों को पीआईसीयू, 5 को चिल्ड्रन वार्ड और मात्र 5 बच्चों को एनआरसी में भर्ती किया गया है। इस स्थिति पर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. बीएल यादव ने बताया कि सभी बच्चे गंभीर स्थिति (सैम) में हैं। फिलहाल उनकी प्राथमिक बीमारियों का इलाज किया जा रहा है, इसके बाद उन्हें एनआरसी में शिफ्ट किया जाएगा।
जिले में 685 कुपोषित बच्चे, डीपीओ बोले - कार्यकर्ताओं पर होगी कार्रवाई
महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि जिले में वर्तमान में 685 कुपोषित बच्चे चिन्हित हैं। इनमें से अधिकांश को घर पर ही पोषण उपचार दिया जा रहा है, जबकि कुछ बच्चों को एनआरसी में भर्ती किया गया है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की पहचान कर तुरंत विभाग को सूचना दें। यदि कोई कार्यकर्ता इस कार्य में लापरवाही बरत रही है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
627 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में, कई की हालत जर्जर -
जिले में कुल 2442 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनमें से 627 केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं। इनमें से कई केंद्र जर्जर हालत में हैं, जिससे बच्चों को मूलभूत सुविधाएं और पोषण सेवाएं देने में भी परेशानी आ रही है। ऐसे में कुपोषण से निपटने की सरकार की मंशा तब तक पूरी नहीं हो सकती, जब तक आंगनबाड़ियों को मजबूत ढांचा और पर्याप्त संसाधन मुहैया न कराए जाएं।
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