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भाजपा जिला अध्यक्ष चुनाव को लेकर बड़ी खबर, तीन दिन बाद होने वाले हैं चुनाव


भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा ( bjp ) में जिला अध्यक्ष ( District President ) के चुनाव ( election ) तीन दिन बाद हैं और अब तक जिला अध्यक्षों के नामों पर सहमति नहीं बन पाई है। इसे लेकर हर जिले में सियासत गर्माई हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के निधन के कारण तीन दिनों के लिए मंथन का काम रुक गया था। अब 30 नवंबर को खासकर भोपाल, ग्वालियर और इंदौर जैसे बड़े शहरों में भाजपा का जिला अध्यक्ष कौन होगा इसे लेकर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
 मध्यप्रदेश में भाजपा के संगठन चुनाव चल रहे हैं। प्रदेश के 56 जिलों से लेकर भोपाल तक सियासत गर्माई हुई है। तीन दिन बाद जिला अध्यक्षों के चुनाव हो जाएंगे। जहां जिला अध्यक्ष के कई दावेदार हैं वहां के चुनाव टाले जा सकते हैं, लेकिन ज्यादातर जिलों में 30 नवंबर को चुनाव करा लिए जाएंगे।
जहां गुटबाजी वहां टलेंगे चुनाव
भाजपा जहां गुटों में बंटी हुई है, वहां कई दावेदार सामने आ सकते हैं, इसे लेकर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने ऐसे जिलों में चुनाव को आगे बढ़ने की भी रणनीति बनाई है। खासकर भोपाल, ग्वालियर और इंदौर में ऐसी स्थिति हो सकती है, जहां दिग्गज नेताओं में सहमति मुश्किल से बन पाएगी। क्योंकि इन जिलों से मिल रहे फीडबैक के मुताबिक दिग्गज नेताओं में यहां एक राय नहीं बन पाई है। पार्टी ने रायशुमारी कराने के लिए पर्यवेक्षक और निर्वाचन अधिकारियों को चुनाव से दो दिन पहले ही जिले में जाकर सीनियर नेताओं से बात करने को कहा है।

शिवराज की सहमति से होगा भोपाल जिला अध्यक्ष
भोपाल जिले का जिला अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान की पसंद का होगा। अनुकंपा नियुक्ति के जरिए जिला अध्यक्ष बने विकास वीरानी को भी बदलने की तैयारी है। बड़े नेताओं का मानना है कि वीरानी से कार्यकर्ता और नेता दोनों ही खुश नहीं रहे। इस स्थिति में वीरानी के विकल्प की तलाश की जा रही है।

ये तीन नाम भोपाल से
सूत्रों के मुताबिक भोपाल जिले के अध्यक्ष का नाम शिवराज सिंह चौहान ही फाइनल करेंगे। अंदर ही अंदर चर्चा है कि महापौर आलोक शर्मा भी जिला अध्यक्ष के लिए प्रमुख दावेदार हैं और वे शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी माने जाते हैं। इनके अलावा यदि विधायक स्तर के किसी व्यक्ति को जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी जाती है तो नरेला विधायक विश्वास सारंग और गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर को प्रबल दावेदार माना जाएगा। इसके अलावा सिंधी समाज के वीरानी के स्थान पर दोबारा सिंधी समाज से भगवान दास सबनानी को भी भाजपा की मुख्यधारा में लाया जा सकता है।

इंदौर में फिर विजयवर्गीय और ताई में जंग
मालवा क्षेत्र में दबदबा रखने वाली सुमित्रा महाजन और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय में इस बार भी जंग देखने को मिल सकती है। इंदौर से मौजूदा जिला अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा 50 की उम्र पार करने के कारण बदले जा सकते हैं। उनकी जगह पर आम सहमति बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस बार भी सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय की आपसी सहमति से ही जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा। क्योंकि दोनों एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं, यही कारण है कि दोनों गुट अपने समर्थकों के लिए लाबिंग कर रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय विधायक रमेश मेंदोला के लिए लॉबिंग कर रहे हैं, वहीं महाजन कोटे से सांसद बने शंकर लालवानी के बाद अब सुमित्रा महाजन सुमित मिश्रा के लिए लॉबिंग कर रही हैं। फिलहाल, जिला अध्यक्ष बनने की राह पर यह दोनों ही नाम चल रहे हैं। इनके अलावा ताई के करीबी लोगों में गौरव रणदिवे, आरएसएस की पसंद माने जाने वाले मुकेश राजावत और महिला कोटे की श्रेष्ठा जोशी के नाम भी चर्चाओं में है। जबकि शिवराज सिंह चौहान की समर्थक मालिनी गौड़ के कोटे से भी कोई नाम भेजा जा सकता है।

ग्वालियर में फंसा पेंच
भाजपा के ग्वालियर संगठन में बड़े नेताओं की नजरें लगी हैं। इस कारण यहां जल्द ही कोई फैसला हो, उम्मीद कम ही लगती है। इस जिले पर पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा, सांसद विवेक शेजवलकर, माया सिंह, जयभान सिंह पवैया और अनूप मिश्रा जैसे दिग्गज नेताओं की सहमति भी ली जाएगी। इस जिले में जिन दावेदारों के नाम आ रहे हैं उनमें राजेश सिंह सोलंकी, राजेश दुबे, नीटू सिकरवार, मधुसुदन भदौरिया के नाम शामिल हैं।


इस बार 50 पार उम्र का फार्मूला
मध्यप्रदेश में भाजपा जिला स्तर पर इस बार नए जिला अध्यक्षों को बनाने के लिए 50 की उम्र की सीमा रख रही है। यानी पचास की उम्र पार कर चुके नेता पहले ही इस दौड़ से बाहर हो जाएंगे। प्रदेश में बीजेपी के 56 संगठनात्मक जिले हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता भी कह रहे हैं कि इस बार हर हाल में यह फार्मूला लागू किया जाएगा। मालवा अंचल, महाकौशल, चंबल-ग्वालियर, बुंदेलखंड और मध्य भारत के कई जिलों में उम्र का बंधन लगाने से अब बीजेपी नए अंदाज में नजर आएगी।
 75 पार के बाद अब 50 पार

इससे पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में 75 पार का फार्मूला लगाने के बाद कई बुजुर्ग नेताओं को टिकट नहीं दिया गया था। इसके बाद अब पार्टी भाजपा के जिला अध्यक्षों के लिए भी 50 पार का फार्मूला लागू करने जा रही है। इस फैसले के साथ ही अब नए और युवा वर्ग को प्राथमिकता दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने यह भी तय किया है कि इस बार जो नेता संगठन में सक्रिय है, उसे ही जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा। सिफारिश करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
 इन जिला अध्यक्षों की जाएगी कुर्सी

-दो बार जिला अध्यक्ष रह चुके होशंगाबाद के हरिशंकर जायसवाल 50 पार फार्मूले के तहत बाहर हो सकते हैं।
-लगातार पार्टी की पराजय के कारण आलीराजपुर के किशोर शाह को हटाए जाने की चर्चा है।
-हरदा जिले के अमरसिंह मीणा और रायसेन जिले में धर्मेंद्र चौहान को निष्क्रियता के कारण बदला जाएगा।
-सागर में भी प्रभुदयाल पटेल पर उदासीन रवैये के कारण नया चेहरा लाया जा सकता है।
-उधर, विदिशा के राकेश सिंह जादौन से भी प्रदेश संगठन काफी नाराज है।
-ग्वालियर के देवेश शर्मा की भी यही स्थिति है।
-शिवपुरी में वीरेंद्र रघुवंशी, श्योपुर के गोपाल आचार्य, मुरैना के केदार सिंह यादव का नाम परिवर्तन सूची में है।
-पन्ना के सदानंद गौतम दो बार जिलाध्यक्ष रहे, रीवा में विद्याप्रकाश श्रीवास्तव और सीधी में डॉ. राजेश मिश्रा 50 पार के फार्मूले में आ गए हैं।
-लेकिन 50 की उम्र पार करने के बावजूद अच्छी संगठन क्षमता रखने वाले जिला अध्यक्षों को फिर से मौका दिया जा सकता है।

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