शिवपुरी. जिला अस्पताल के लेबर रूम में शनिवार सुबह करीब सवा नौ बजे एयर प्यूरीफायर में अचानक फॉल्ट के साथ आग लग गई। आग लगने के साथ ही लेबर रूम में भगदड़ की स्थिती निर्मित हो गई। घटना के समय यहां मौजूद प्रसूताओं को दूसरे रास्ते से ऑपरेशन थियेटर में शिफ्ट कर नॉरमल डिलेवरी कराई गई। वहीं इस आगजनी के दौरान वार्मर पर लेटी एक नवजात बाल-बाल बच गई।
शनिवार सुबह जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग में स्थित लेबर रूप में सब कुछ सामान्य चल रहा था। इसी दौरान करीब सवा नौ बजे अचानक लेबर रूम में रखे एक एयर प्यूरीफायर में अचानक धमाके के साथ फॉल्ट हुआ और व धू-धू कर जलने लगा। एयर प्यूरीफायर में आग लगते ही लेबर रूम में भगदड़ की स्थिति निर्मित हो गई। बताया जाता है कि जिस समय आग लगी उससे कुछ मिनट पहले ही खुड़ा निवासी प्रसूता शारदा परिहार को प्रसव हुआ था। उसने एक बेटी को जन्म दिया था और स्टाफ ने बच्ची को वार्मर पर रखा था, इसी दौरान प्यूरी फायर में आग लग गई। नर्सिंग स्टाफ ने भागदौड़ कर सुरक्षा गार्ड, सफाई स्टाफ आदि को आवाज लगाई। तभी अस्पताल में किचिन का सुपरविजन देखने वाला दीपक शर्मा किसी काम से मेटरनिटी विंग में गया था, उसने लेबर रूप में घुस कर वार्मर पर लेटी बच्ची को सुरक्षित उठाकर प्रसूता शारदा के परिजनों के सुपुर्द किया और इसके बाद शारदा व उसकी बच्ची को अगले गेट से बाहर निकाला गया तो, अन्य प्रसूताओं को दूसरे इमरजेंसी गेट के सहारे ऑपरेशन थियेटर की तरफ निकाला गया।
आगजनी के दौरान फतेहपुर से आई एक अन्य प्रसूता अंजली जाटव को उसके परिजन स्ट्रेचर से प्रसव पीड़ा के दौरान ही लेकर भागे। किसी बड़े हादसे की आशंका के चलते फायर बिग्रेड को भी आग लगने की सूचना दी दे दी गई थी, परंतु अस्पताल के स्टाफ, आरएमओ डॉ राजकुमार ऋषिश्वर व हॉस्पिटल मैनेजर डॉ साकेत सक्सेना ने फायर इंस्ट्रूमेंट आदि की मदद से लेबर रूम के एयर प्यूरीफायर में लगी आग पर काबू पाया। अस्पताल के कर्मचारियों की सक्रियता के चलते आज एक बड़ा हादसा टल गया। यहां बताना होगा कि अस्पताल में इससे पूर्व भी कई बार मेटरनिटी विंग के विभिन्न वार्डों में एसी व विद्युत लाइनों में फॉल्ट होने के कारण आगजनी की घटनाएं घटित हो चुकी हंै, जिसमें कई बार प्रसूताएं बाल-बाल बची हैं।
लेबर रूम में नहीं था कोई फायर उपकरण
आगजनी के समय लेबर रूप के अंदर कोई भी फायर इक्युपमेंट मौजूद नहीं था। आग बुझाने में शामिल रहे युवकों ने बताया कि वह आग बुझाने के लिए एक फायर सिलेंडर तो लेबर रूम के बाहर से लेकर आए थे जबकि दूसरा रिसिविंग रूम के सामने से। अगर आग भडक़ जाती और गेट से लेबर रूम में अंदर जा पाना ही संभव नहीं होता । इसके अलावा जो फायर बिग्रेड अस्पताल में बुलाई गई थी उसकी लेजम भी इतनी बड़ी नहीं थी कि उसे लेबर रूम तक ले जाया जा सके। आग भडक़ने की स्थिति में यह दोनों खामियां बड़े हादसे का सबब भी बन सकती थीं।
आगजनी के समय लेबर रूप के अंदर कोई भी फायर इक्युपमेंट मौजूद नहीं था। आग बुझाने में शामिल रहे युवकों ने बताया कि वह आग बुझाने के लिए एक फायर सिलेंडर तो लेबर रूम के बाहर से लेकर आए थे जबकि दूसरा रिसिविंग रूम के सामने से। अगर आग भडक़ जाती और गेट से लेबर रूम में अंदर जा पाना ही संभव नहीं होता । इसके अलावा जो फायर बिग्रेड अस्पताल में बुलाई गई थी उसकी लेजम भी इतनी बड़ी नहीं थी कि उसे लेबर रूम तक ले जाया जा सके। आग भडक़ने की स्थिति में यह दोनों खामियां बड़े हादसे का सबब भी बन सकती थीं।
लेबर रूम में लगे एयर प्यूरीफायर में अचानक से आग लग गई। स्टाफ की सक्रियता के चलते आग पर तत्काल काबू पा लिया गया, आगजनी में कोई आहत नहीं हुआ है। हमने सुरक्षा के नजरिए से फायर बिग्रेड को भी कॉल कर दिय था, जो मौके पर पहुंच गई थी।
डॉ राजकुमार ऋषिश्वर, आरएमओ जिला अस्पताल
डॉ राजकुमार ऋषिश्वर, आरएमओ जिला अस्पताल
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