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लाकडाउन- क्या करें-क्या ना करें -जितेन्द्र तिवारी


*✍बिर्रा-ये जिन्दगी है यारों यहां दुनिया का हर दस्तूर देखना पड़ता है।हमने अपने जीवन में आपातकाल देखा नहीं था पर इस समय लाकडाउन को ही आपातकाल मान लें तो कोई नई बात नहीं।क्योंकि हर व्यक्ति के जीवन में कभी खुशी कभी ग़म होता है- हालात वहीं समझते हैं जिनके बाजुओं में दम होता है।ऐसा ही समय इस समय पूरे विश्व में आया है।आज देश में 21 दिनों का लाकडाउन से घबराएं नहीं अगर जिन्दा रहना है तो पालन अवश्य करें।हम सब मुसाफिर है आएं हैं तो जाना पड़ेगा पर किसी को साथ लेकर नहीं अपना फर्ज हमें ही निभाना पड़ेगा।यह मैं अपने लिए नहीं लिख रहा हूं।बल्कि अपनों के लिए।एक मिडियाकर्मी होने के नाते आप तक पहुंच नहीं पा रहा हूं पर वक्त बदलेगा जब हम आप से फिर मिल सकेंगे।समय सबका साथ दे न दे पर हम आपके साथ हैं। सावधान रहिए-घर पर परिवार के साथ रहिए-सुरक्षित रहिए।लाकडाउन का पालन करते रहिए-जय हिन्द जय भारत*

*सुबह-सुबह जितेन्द्र तिवारी की कलम से*

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