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ऐ कैसा इंसाफ है... श्रीमती सीता मिलन

 


बिर्रा:-कोरोना संक्रमण काल के इस विषम परिस्थिति में भी शिक्षक गैर शिक्षकीय कार्य को भी जिम्मेदारी एवं निष्ठा पूर्वक निभाते हैं जब- जब आवश्यकता होती है गैरशिक्षकीय काम को भी शिक्षक ही सहर्ष स्वीकार करके अपने इति कर्तव्यों का कुशल निर्वहन करते आ रहे हैं परंतु शासन-प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अपना मुंह फेर लेते हैं लेकिन उसके बावजूद भी हौसले बुलंद कर राष्ट्र निर्माता (शिक्षक) का दर्जा प्राप्त  निर्भीक, निडर हो करके शासन- प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हैं। वर्तमान में कोरोना ड्यूटीरत सैकड़ों शिक्षकों की मृत्यु हो गई पर उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर्स ना मानते हुए बीमा कवर, तृतीय श्रेणी पद पर अनुकंपा नियुक्ति, मासिक संवेदना राशि शिक्षकों व उनके परिजनों को अन्य विभागों जो सुविधा है से वंचित रखा है ऐ छत्तीसगढ़ संवेदनशील सरकार का कैसा इंसाफ है...? उक्त उदगार छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय महिला प्रतिनिधि श्रीमती सीता मिलन, जिला प्रभारी महिला प्रकोष्ठ जांजगीर-चांपा श्रीमती अर्चना शर्मा ने शासन से मांग करते हुए कहा है की छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में दिवंगत शासकीय कर्मचारियों के आश्रितों को विशेष पेंशन व 5000000 बीमा राशि स्वीकृत किया है तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं...? कर्मचारियों के साथ यह कैसा इंसाफ है...?

     छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने छत्तीसगढ़ के मुखिया से मांग किया है कि जब पड़ोसी राज्यों में कोरोना  ड्यूटीरत शिक्षकों को कोरोना वारियर्स दर्जा देते हुए दिवंगत के परिजनों को 50 लाख का बीमा कवर दिया जा रहा है तो यहां क्यों नहीं...? छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन मांग करता है कि शिक्षक व उनके परिजनों को त्वरित तृतीय श्रेणी पद पर अनुकंपा नियुक्ति कर बीमा का लाभ दिया जावे।

    छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन बम्हनीडीह ब्लाक प्रभारी महिला प्रकोष्ठ श्रीमती उदिता सिंह सिसौदिया ने शासन के दोहरी नीति पर आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि शिक्षक जोखिम भरा ड्यूटी इस कोरोना संक्रमण काल में कर रहे हैं इसके बावजूद शासन-प्रशासन शिक्षकों को फ्रंटलाइन वर्कर्स ना मानना समझ से परे है। सरकार शिक्षकों व उनके परिजनों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए उपरोक्त मांगों को तत्काल पूरा करें

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