Music

BRACKING

Loading...

चंद रुपए के लिए जिंदगी में घोला जहर:

 

नानी के फेफड़ों में 50% संक्रमण था, नकली इंजेक्शन से 80 पर पहुंचा, डिस्जार्च होने के बाद भी सिलेंडर से चल रही सांसें



 
तीन कहानियां... नकली रेमडेसिविर ने किस तरह लोगों की जिंदगियाें में जहर घोला
ग्लूकोज और नमक मिलाकर बनाए नकली रेमडेसिविर लगाने से छह से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। कई अन्य अब भी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। गुरुवार को नकली इंजेक्शन बनाने वाले गिरोह के खिलाफ बयान देने कई पीड़ित विजय नगर थाने पहुंचे। इनकी कहानियां बताती हैं कि कैसे चंद रुपए के लालच में लोगों ने इनकी जिंदगियों में जहर घोल दिया।
केस 1- एक लाख में चार इंजेक्शन खरीदे लगने के बाद मरने जैसे हाल हुए
आशीष गोयल ने पुलिस को बयान दर्ज करवाया है कि उन्होंने सास (बच्चों की नानी) के लिए 1.08 लाख में चार इंजेक्शन खरीदे थे। इंजेक्शन के पहले सास के फेफड़ों में इन्फेक्शन 50% था। इंजेक्शन लगने के दूसरे दिन वे मरणासन्न स्थिति में पहुंच गईं। सिटी स्कैन देख डॉक्टर भी चौंक गए। इन्फेक्शन 80% तक पहुंच गया।
उन्हें रेमडेसिविर के और डोज देना पड़े। 10 से ज्यादा इंजेक्शन लगाना पड़े। वे मरते-मरते बचीं। कई दिन अस्पताल में रहने के बाद कुछ दिन पहले उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज तो कर दिया गया, लेकिन हालत अभी भी ठीक नहीं है। वे खातेगांव स्थित अपने घर में भी ऑक्सीजन सिलेंडर के भरोसे ही सांस ले पा रही हैं।
केस 2 - ये बच गए, पाउडर नहीं घुला तो डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाने से मना कर दिया
बाबूलाल नगर के निखिल राठौर ने पुलिस को बताया कि दोस्त पंकज पटेल की बुआ भर्ती थीं। उनके लिए शिव नामक आदमी सेे 19500 रु. में एक इंजेक्शन लिया, जो खुला था। पूछा तो बोला कि बिना डॉक्टरी पर्ची के ऐसा ही मिलेगा। अस्पताल में डॉक्टर ने पाया कि इंजेक्शन का लिक्विड और पावडर घुल ही नहीं रहा था। उन्होंने इंजेक्शन नहीं लगाया। इसलिए बच गए।
केस 3- इंजेक्शन के 5 घंटे बाद मौत, बचे डोज दिए तो दूसरे की हालत भी बिगड़ गई
रंगवासा के एक युवक ने अपने दादाजी के लिए छह इंजेक्शन खरीदे। दादाजी होम आइसोलेशन में ही थे। उन्हें घर ही दो इंजेक्शन का पहला डोज लगाया गया। इसके पांच घंटे में ही उनकी मौत हो गई। घरवाले समझ ही नहीं पाए कि आखिर दादाजी को अचानक क्या हो गया। बाद में परिजन ने बचे हुए चार इंजेक्शन एक परिचित को दिए।
इंजेक्शन लगाने के बाद उनकी तबीयत सुधरने के बजाय और बिगड़ गई। बाद में दोबारा नए इंजेक्शन लाकर लगाए। कई अन्य दवाइयों का डोज भी बढ़ाना पड़ा। उन्हें आठ दिन ज्यादा अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। नकली इंजेक्शन बेचने वाले आरोपियों के चेहरे सामने आने के बाद पुलिस के पास पहुंचे।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ