Music

BRACKING

Loading...

ओपीडी में महिला डॉक्टरों से लेकर महिला मरीजों के लिए जिला अस्पताल में नहीं टॉयलेट की सुविधा

डॉक्टरों को जाना पड़ता है सिविल सर्जन के पहले माले पर बने टॉयलेट में तो पुरुष टॉयलेट का उपयोग करना पड़ रहा महिला मरीजों को
 शिवपुरी ।प्रदेश के नंबर 1 जिला अस्पताल में महिला मरीजों और महिला डॉक्टरों के लिए ओपीडी में अलग टॉयलेट की सुविधा मौजूद नहीं है। महिला डॉक्टरों को सिविल सर्जन के पहली मंजिल स्थित कक्ष में जाना पड़ता है। उन्हें ड्यूटी छोड़कर आने जाने में समय लग जाता है। मरीज परेशान होते रहते हैं। वहीं खुद महिला डॉक्टर भी इस बात से परेशानी अनुभव कर रही हैं। बात भले ही सामान्य लग रही हैं, लेकिन समस्या गंभीर है। जब जिले में स्वच्छता को लेकर कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं, खास तौर पर महिलाओं के लिए शौचालय आदि पर सरकार करोड़ों खर्च कर रही है। ऐसे में बीच शहर के खैराती जिला अस्पताल में टॉयलेट न होने से महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
जांच के लिए जिला अस्पताल में आने वाली महिला मरीजों को यूरिन जांच के लिए बेहद समस्या होती है। ऐसे में कई बार महिलाओं को पुरुष टॉयलेट का उपयोग करना पड़ता है।
डॉक्टर बोलीं-यह एक बड़ी समस्या
जिला अस्पताल में नेत्र चिकित्सक डॉ. रितु चतुर्वेदी जिला अस्पताल परिसर में डॉक्टरों के लिए प्रसाधन न होने पर कहती हैं कि यह एक बड़ी समस्या है। हमें पहले तो सुबह 8 बजे से ड्यूटी पर आना होता था, लेकिन अब तो सुबह 9 से शाम 4 बजे तक अस्पताल का समय हो गया है। ऐसे में टॉयलेट न होने से महिला डॉक्टरों की परेशानी और बढ़ गई है। हमें सिविल सर्जन के ऑफिस वाले टॉयलेट का इस्तेमाल करने पर मजबूर होना पड़ता है। यही बात कुछ अन्य महिला डॉक्टरों ने भी कही।
पैथोलॉजी से भेजते हैं जांच के लिए सैंपल लेने
जिला अस्पताल की ओपीडी के समीप ही पैथोलॉजी स्थित है। यहां हर दिन सैकड़ों मरीज आते हैं। यहां यूरिन की जांच के लिए सैंपल लेने के लिए लेडिज टॉयलेट न होने से परेशानी हो रही है। जिला अस्पताल के कर्मचारी इस बात को स्वीकार करते हैं कि उनके लिए टॉयलेट बनाया गया है, लेकिन मुसीबत तब बढ़ जाती है, जब महिला टॉयलेट न होने से पुरुष प्रसाधन में ही बने टॉयलेट का उपयोग महिलाएं करती हैं। यहां किसी तरह की सूचना भी अंकित नहीं की गई है।
हर दिन 200 से अधिक महिलाओं के लिए जाते हैं सैंपल
जिला अस्पताल में हर दिन प्रसूता सहित अन्य महिलाएं उपचार के लिए आती हैं। इनमें से अधिकांश महिलाओं को जांच के लिए लिखा जाता है। पैथोलॉजी के स्टाफ की मानें तो हर दिन 200 से अधिक महिलाओं के सैंपल पैथोलॉजी में लिए जाते हैं। स्टाफ का कहना है कि महिला टॉयलेट न होने के चलते जांच के लिए उन्हें पुरुष टॉयलेट में जाना पड़ता है, जबकि इसके लिए महिला टॉयलेट अलग से होना जरूरी है।
एक महिला मरीज ने कहा कि जिला अस्पताल में महिला टॉयलेट न होने से महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। परेशानी तब बढ़ जाती है, जब हम महिलाओं को जांच के लिए पुरुष टॉयलेट का उपयोग करना पड़ता है। महिलाओं के लिए अस्पताल में टॉयलेट बनना चाहिए।
एक अन्य महिला ने कहा कि जिला अस्पताल में यूरिन की जांच के लिए टॉयलेट तक नहीं है। महिलाओं के लिए टॉयलेट के लिए पैथोलॉजी से दूर पुरुष टॉयलेट का उपयोग करना पड़ता है। इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिला अस्पताल में जांच के दौरान परेशानी का अनुभव करना पड़ता है। महिलाओं को यूरिन की जांच के दौरान बड़ी परेशानी होती है। टॉयलेट का निर्माण पैथोलॉजी के आसपास होना चाहिए। जिला अस्पताल में नया निर्माण तो कर दिया गया है, लेकिन यहां महिलाओं के लिए टॉयलेट का निर्माण नहीं किया गया है, जिससे जांच के दौरान बड़ी परेशानी होती है।
ड्रेनेज सिस्टम ही चोक, नया निर्माण होते ही दूर हो जाएगी परेशानी
इस बारे में जब जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. आरके रिषीश्वर से बात की गई तो उनका कहना था कि जिला अस्पताल का ड्रेनेज सिस्टम ही चोक पड़ा हुआ है। करीब तीन महीने पहले हमने स्टीमेट तैयार करके नवीन टॉयलेट के निर्माण और पुरानी लाइन के बदलाव या नई लाइन बिछाने का प्रस्ताव लोनिवि को भेजा है, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो सका। अगर जल्द निर्माण हुआ तो सारी समस्या का हल हो जाएगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ