शिवपुरी 9/11 अर्थात 11 सितंबर को 'लादेन' के लिए नहीं, बल्कि 'नरेन्द्र' के लिए याद रखा जाना चाहिए।'9/11' को याद करने के लिए हमारा पॉइंट ऑफ रेफरेंस 'आतंकवाद' नहीं, बल्कि 'सनातन संवाद' होना चाहिए।9/11 'विध्वंस' के लिए नहीं, बल्कि 'विश्व-बंधुत्व' के लिए याद किया जाना चाहिए। उक्त विचार 'विश्व बंधुत्व दिवस' पर विवेकानंद केंद्र द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने कहे।
उन्होंने कहा कि 9/11 अर्थात 11 सितम्बर स्वामी विवेकानंद जी के 1893 के शिकागो भाषण का स्मृति दिन है। '9/11' आज से 21 साल पहले 2001 में अमेरिका के सीने पर लगे आतंकवाद के जख्मों की स्मृति का भी दिन है।आज से 129 साल पहले इसी दिन अमेरिका की धरती पर शिकागो वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट में स्वामी विवेकानंद ने अपने शब्दों के माध्यम से पूरी दुनिया को जीत लिया था, अपना बना लिया था।
इसमें मानवता को जोड़ने के इरादे थे।आज से 21 साल पहले 2001 में इसी दिन ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर आतंकी हमला करके मानवता को खत्म करने का कुत्सित प्रयास किया था।
शिकागो भाषण में भारत की सनातन संस्कृति और गौरव को व्यक्त किया
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में चिंतक एवं विचारक हरिहर निवास शर्मा ने कहा कि विवेकानंद ने अपने विश्वप्रसिद्ध शिकागो भाषण में भारत की सनातन संस्कृति और गौरव को व्यक्त करते हुए कहा था कि - उन्हें गर्व है कि वे उस धर्म के पथिक हैं, जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है।हम सिर्फ सार्वभौमिक सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि उन्हें गर्व है कि वे एक ऐसे देश से हैं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के प्रताड़ित और परेशान लोगों को शरण दी है।कार्यक्रम के प्रारम्भ में विचार व्यक्त करते हुए विवेकानंद केंद्र के विभाग प्रमुख उपेंद्र मिश्रा ने दिया। अध्यक्षीय भाषण विवेकानंद केंद्र के नगर संयोजक गोपालकृष्ण सिंघल ने दिया।
संचालन और आभार शिशुपाल सिंह जादौन ने किया।इस अवसर पर कार्यक्रम में रिटायर्ड प्रोफेसर एन के दीक्षित, श्री पांडेय, अन्य प्रबुद्ध नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और विद्यार्थी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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