शिवपुरी, नगर परिषद खनियाधाना में आज संत शिरोमणि रविदास जी की समरसता यात्रा ने प्रवेश किया। इस समरसता यात्रा में संत रविदास महाराज की चरण पादुकाएं को सिर पर रखकर जन संवाद के मंच पर उचित स्थान दिया गया।
इस यात्रा के साथ हरिद्वार से आई साध्वी रंजना दीदी, मध्य प्रदेश बांस निगम के राज्यमंत्री एव पूर्व विधायक घनश्याम पिरौनियां, क्षेत्रीय पूर्व मंत्री भैया साहब, प्रह्लाद सिंह यादव, भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सिंह यादव, भाजपा मंडल अध्यक्ष सत्य प्रकाश भरदेलिया, नगर परिषद अध्यक्ष छाया साहू खनियाधाना जनपद से पधारे विभिन्न मंदिरों और आश्रमों के संत महंत, नगर के गणमान्य पुरुष एवं महिलाएं, बड़ी संख्या में युवाओं ने इस यात्रा का भव्य स्वागत किया।
बांस निगम के अध्यक्ष पिरौनियां ने बताया कि पूरे प्रदेश में संत शिरोमणि रविदास समरसता यात्रा निकाली जा रही है। यह यात्रा 5 रूट से होते हुए सागर पहुंचेगी। आप सभी को मध्य प्रदेश के सागर में बनाए जा रहे 100 करोड़ की लागत से संत शिरोमणि रविदास महाराज का मंदिर की आधारशिला एवं भूमि पूजन 12 अगस्त को होने जा रहा है जिसमें आप सभी का आमंत्रण है। आप इस कार्यक्रम को प्रत्यक्ष पहुंचकर अथवा दूरदर्शन के माध्यम से इस कार्यक्रम में सहभागिता करें, ऐसा आग्रह किया गया।
साथ ही उन्होंने कहा कि आजकल लोगों को गुमराह कर श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों का कुछ लोगों द्वारा गलत अर्थ निकाल कर प्रस्तुत किया जा रहा है उनकी बातों में ना आएं भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम है। उन्होंने केवट को गले लगाया शबरी के जूठे बेर खाय और बाल्मीकि समाज के महर्षि वाल्मीक द्वारा रचित रामायण आज बड़े से बड़े मंदिरों और सभी सनातन हिंदू परिवारों में श्रद्धा के साथ पाठ किया जाता है। उज्जैन में भगवान शिव का कोरिडोर बनाया जा चुका है। दतिया में मां पीतांबरा माई का संत समागम विस्तार का भूमि पूजन किया जा चुका है, तो जब भगवान का मंदिर बनाए जा रहे हैं तब भक्तों का भी मंदिर बनाना चाहिए। भगवान के भक्त रहे संत शिरोमणि रविदास जी का मंदिर भी बनना चाहिए। इसके पश्चात साध्वी रंजना जी दीदी द्वारा बहुत ही सारगर्भित संवाद किया गया। यह भूमि हमारी माता है और ईश्वर हमारा पिता है। हमारा जीवन हमारे कर्मों के आधार पर निर्मित होता है। संतो से आशीर्वाद तो लेना चाहिए लेकिन किसी प्रत्याशा में नहीं। भगवान श्री राम हमारे हैं और हम सभी भगवान के हैं। जात पात पूछे नहीं कोई, हरि को भजे हरि को हुई और उन्होंने समरसता के अनेक उदाहरण देकर संवाद कार्यक्रम को संपन्न किया। यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। तत्पश्चात समरसता यात्रा आगामी स्थल के लिए रवाना हो गई।
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