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चार साल में ग्रामीण युवाओं की बेरोजगारी दर तीन गुना बढ़ी

सर्वे : 

केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक गत छह साल में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं में बेरोजगारी की दर में तीन गुना से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। यदि 2004-05 से तुलना की जाए तो यह वृद्धि चार गुना है। .
धारणा के विपरीत : अब तक के परिपाटी थी कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर शहरों की तुलना में कम हुआ करती थी। क्योंकि बड़ी संख्या में नौजवान कृषि या इससे जुड़े लघु उद्योगों में कार्य करते थे, लेकिन अब गांव एवं शहरों की स्थिति एक जैसी होती जा रही है। मंत्रालय द्वारा हाल में जारी आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में 15-29 साल के युवाओं में बेरोजगारी के अलग से आंकड़े एकत्र किए गए हैं। इसके मुताबिक 2011-12 में 15 से 29 वर्ग के युवकों में बेरोजगारी की दर पांच फीसदी थी जो 2017-18 में बढ़कर 17.4 फीसदी हो गई।यह शहरी क्षेत्र के युवाओं में बेरोजगारी दर से महज एक फीसदी कम है। कुछ महानगरों मै  ,छोटे सहरो मै जैसे _  शिवपुरी, ग्वालियर भिंड_ मुरैना छिंदवाड़ा म.प्र. मै तमाम सहर 
आगे _
शहरी युवतियां सबसे अधिक बेरोजगार : सर्वे के मुताबिक गत छह साल में 15 से 29 वर्ष उम्र की शहरी युवतियों में बेरोजगारी सबसे तेजी से बढ़ी है। यह 2011-12 के 13.1 फीसदी की दर से बढ़कर 27.2 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इस अवधि में ग्रामीण युवतियों में भी बेरोजगारी दर 4.8फीसदी से बढ़कर 13.6 फीसदी हो गई है। 
क्या है वजह 
जानकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी में तेजी से बढ़ोतरी के पीछे दो प्रमुख कारण मान रहे हैं। पहला, शिक्षा का स्तर बढ़ने से कृषि कार्य में युवाओं की हिस्सेदारी घट रही है। दूसरा, कृषि से जुड़े छोटे-मोटे ग्रामीण काम धंधे बंद हो रहे हैं।.
युवाओं में बेरोजगारी
वर्ष                     ग्रामीण                  शहरी 
                         युवक/युवती           युवक/युवती.
2005-06              3.9/4.2               8.8/14.9
2009-10               4.7/4.6              7.5/14.3
2011-12                5.0/4.8              8.1/13.1
2017-18                17.4/13.6          18.7/27.2
(आंकड़े एनएसएसओ और पीएलएफएस के फीसदी में   

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