लोकसभा चुनाव 2019 के खत्म होने के महज दो हफ्तों के भीतर ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच बना गठबंधन खत्म हो चुका है. इसके साथ ही एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रिमो मायावती की राहें अलग-अलग हो चुकी हैं. हालांकि अब सवाल यही उठ रहा है कि आखिर मायावती ने अखिलेश को इस कदर एकाएक झटका क्यों दिया?
पीएम मोदी ने भविष्यवाणी की थी कि 23 मई को नतीजे आने के बाद यूपी में एसपी-बीएसपी गठबंधन टूट जाएगा. आखिरकार उनकी भविष्यवाणी सही साबित हो गई. मायावती ने यूपी में गठबंधन टूटने के संकेत देने के साथ ही अखिलेश यादव को नसीहत भी दे डाली. हालांकि गठबंधन तोड़ने के पीछे मायावती की दो बड़ी वजहें हो सकती हैं. पहली लोकसभा चुनावों के दौरान संभावित पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर अखिलेश ने मायावती के नाम पर सहमति दे दी थी. इसका मतलब हुआ कि साल 2022 के चुनाव में माया को सीएम पद पर अखिलेश के नाम पर समर्थन देना होता. माया ने इस संभावना को आज ही खारिज कर दिया.
दूसरी बड़ी वजह है कि मायावती फिलहाल किसी सदन की सदस्य की नहीं हैं. अगले साल राज्यसभा के चुनाव होंगे तो सीटों के हिसाब से समाजवादी पार्टी का एक सदस्य राज्यसभा जा सकता है. यूपी में राज्यसभा जाने के लिए 35 सीटों के आसपास जरूरत होती है. 2017 के चुनावी नतीजों के वक्त 19 सीट बीएसपी और 47 सीट एसपी को मिली थी. उपचुनावों के बाद समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य बढ़े हैं क्योंकि माया ने उपचुनाव नहीं लड़ा. ऐसे में दूसरी सीट से माया को राज्यसभा जाने के लिए पूरी तरह अखिलेश पर निर्भर होना पडेगा. इसीलिए पहली बार मायावती ने उपचुनाव भी लड़ने का ऐलान कर दिया. दूसरे उपचुनावों के नतीजों के बाद अगर बीएसपी ने एसपी से ज्यादा सीटें जीत लीं तो मायावती गठबंधन के सीएम उम्मीदवार के तौर पर दावा ठोंक देंगी और यह भी कह सकती हैं कि अगर साथ रहना है तो मानना पडेगा.

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