
पार्टी नेताओं का मानना है कि हाल में हुए आम चुनाव में भाजपा को मिली उल्लेखनीय जीत और इसके बाद जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को हटाने के विवादित किंतु उनकी पार्टी के कोर एजेंडे वाले कदम को संसद की मंजूरी से प्रधानमंत्री के भाषण की दिशा पहले ही निर्धारित हो चुकी है।
पिछले हफ्ते राष्ट्र के नाम दिए संदेश में प्रधानमंत्री ने घाटी के लोगों से विकास और शांति का वादा किया था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले से उत्पन्न चिंताओं को दूर करने की कोशिश की।
मोदी गुरुवार को लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बराबरी कर लेंगे। वाजपेयी भाजपा के पहले नेता थे जिन्होंने साल 1998 से 2003 के बीच लगातार छह बार लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर भाषण दिया।
हताश विपक्ष भाजपा के प्रभुत्व को चुनौती देने में नाकाम रहा है और मोदी की 2014 के मुकाबले और अधिक बहुमत से सत्ता में वापसी हुई। माना जा रहा है कि वह इस अवसर का इस्तेमाल सुधार या समाज के विभिन्न वर्गों को रियायत देने की घोषणा के लिए कर सकते हैं।
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