मुख्यमंत्री जी! चंबल नदी घड़ियालों व अन्य जीव-जंतुओं के लिए मुफीद है। सुप्रीम कोर्ट ने इस नदी को संरक्षित अभयारण्य माना है। लेकिन यह भी सही है कि चंबल नदी से निकलने वाली रेत व अन्य उत्पादों से 4 लाख की आबादी निर्भर है, जिनसे कई परिवारों की रोजीरोटी भी चल रही है।
जलीय जीवों को भी नुकसान न हो और अवैध रेत उत्ख्नन पर अंकुश लगे और रेत की सुनिश्चितता भी बनी रहे। इसके लिए 8 घाटों को रेत निकालने के लिए खोला जाए। यह बात केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के दौरान कही। इस पर सीएम ने कहा कि मामला संवेदनशील है और आमजन व जलीय जीव-जंतुओं से जुड़ा हुआ है। मैं जल्द ही इस मामले में वरिष्ठ अफसरों से सलाह-मशविरा करूंगा।
इन 8 घाटों से रेत निकालने के लिए हुआ था सर्वे
मप्र शासन के वन विभाग ने अभयारण्य के संरक्षण एवं स्थानीय लोगों की आजीविका के लिए एक समिति बनाई थी। इनमें जलालपुरा, दलारना, बरोठा, बटेश्वरा, बरवासिन, पिपरई, उसैद-ऊपरी धार एवं रानीपुरा घाटों से रेत निकालने की संभावना जताई थी। क्योंकि इन घाटों की ओर जलीय जीव-जंतुओं का मूवमेंट कम रहता है।
भास्कर सवाल: 8 घाटों से रेत निकला तो दूसरे घाटों पर कैसे रुकेगा अवैध उत्खनन
चंबल नदी के जिन 8 घाटों से रेत निकालने की संभावनाएं सरकार तलाश रही है, वहां जलीय जीवों का मूवमेंट कम है, यह सही बात है। लेकिन अन्य घाटों से माफिया रेत नहीं निकालेगा, यह कैसे संभव है। अभी चंबल से रेत खनन पूरी तरह अवैध है। लेकिन जब 8 घाट वैध हो जाएंगे तो अन्य घाटों से निकलने वाले अवैध रेत की पहचान करना और वन विभाग को कार्रवाई करना कैसे संभव होगा।

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