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अंडे से होगा बच्चों का कुपोषण दूर, सीएम बोले अप्रैल से शुरु होगी व्यवस्था


आदिवासी बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए आंगनवाड़ियों में अंडा बांटा जाए। यह बात आदिवासी मंत्रणा परिषद की बैठक में आदिवासी विधायकों ने ये मांग रखी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि हम नए वित्तीय वर्ष अप्रैल से यह व्यवस्था शुरु करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब आदिवासी का एक रुपया भी अब दूसरे कामों पर खर्च नहीं होगा। यदि कहीं पर भी किसी दूसरे मद में पैसा दिया गया, तो संबंधित अफसर की जवाबदेही तय करके कार्रवाई होगी। आदिवासियों के हितों के लिए कानून बनाया जाएगा। अब आदिवासियों की आबादी के आधार पर बजट का आवंटन किया जाएगा। आगामी विधानसभा सत्र में इसका विधेयक लाया जाएगा।
राज्य मंत्रालय में आदिम जाति मंत्रणा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने इसके निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के सामने विधायकों ने आदिवासियों को घटिया अनाज मिलने का मुद्दा भी उठाया।
इस पर सीएम ने कहा कि घटिया अनाज पर जवाबदेही तय हो, तो कहा गया कि कलेक्टर की जवाबदेही तय हो। इस पर सीएम ने कहा कि जहां से अनाज दिया जा रहा है, अफसर की जवाबदेही तय होनी चाहिए। इसके लिए एक कमेटी बनाना भी तय किया गया। सीएम ने विधायकों को भी निगरानी के लिए कहा। मुद्दा उठा अंगूठे का मशीन पर निशान लेकर ही राशन दिया जाता है, लेकिन आदिवासियों के अंगूठे मेहनत करने से घिस जाते हैं, जिससे दिक्कत आती है। मुख्यमंत्री ने विधायकों से पूछा कि आप लोग बताएं थंब इम्प्रेशन के अलावा और कौन सा विकल्प हो सकता है। इस पर विधायक फूंदेलाल मार्को ने कहा कि झाबुआ उप चुनाव के समय इसकी अनिवार्यता खत्म कर मैन्यूअली अनाज दिया जा रहा है। इसी मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू कर दो। इसके लिए कमेटी बनाकर दस दिन में रिपोर्ट देने को भी कहा गया।
आदिवासी कर्ज माफी का संशोधित प्रस्ताव का अनुमोदन-
आदिवासियों के साहूकारी कर्ज माफ करने के लिए बैठक में मप्र अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम में संशोधन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। दरअसल, यह प्रस्ताव पूर्व में विधानसभा से पारित कराकर राष्ट्रपति को भेजा जा चुका है। लेकिन, केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए लौटा दिया कि पहले इस प्रस्ताव को आदिवासी मंत्रणा परिषद में मंजूर करवाया जाए। इसलिए राज्य सरकार ने परिषद में संशोधित प्रस्ताव मंजूर कराया है, इसे जल्द ही केंद्र को भेजा जाएगा।

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