लो जी महान *अमिताभ बच्चन* जैसी *दीवार* को भी *कोरोना* हो गया और यहां तुम सब *हेरा फेरी* करके बिना *मास्क* पहने बाजार में *मर्द* बने घूम रहे हो, बेटा ये *अग्निपथ* है जो *घर पर रुकेगा* वही *शहंशाह* बनेगा, नहीं तो सोच लो कहीं *डॉन* बनने के चक्कर में *लावारिस* न बन जाओ, देख लो *खुदा गवाह* है, कोई *सूर्यवंशम* बचाने नहीं आएगा,
अगर *कोरोना* की जंजीर तोड़नी है, तो इस रास्ते पर *मजबूर* बनकर *अकेले- अकेले* चलना है, ओके बॉय फिर मत कहना कि *मिस्टर नटवरलाल* ने बताया नहीं
घर में रहें-सुरक्षित रहें-जनहित में जारी जितेन्द्र तिवारी बिर्रा
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